कांग्रेस के संविधान दिवस कार्यक्रम में राहुल गांधी के भाषण के दौरान माइक 6 मिनट तक बंद रहा। इस पर उन्होंने कहा, “दलितों और पिछड़ों की बात करने पर माइक बंद कर दिया जाता है।” उन्होंने जातीय जनगणना और सामाजिक न्याय की वकालत करते हुए बीजेपी और आरएसएस पर संविधान की आत्मा को कुचलने का आरोप लगाया।
नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर तीखा हमला किया। कार्यक्रम के दौरान जब राहुल गांधी दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की बात कर रहे थे, तभी अचानक लाइट चली गई। हालांकि, रुकावट के बावजूद राहुल गांधी ने अपनी बात मजबूती से रखी और कहा, “लाइट जाए या माइक बंद हो, मुझे जो कहना है, मैं कहकर रहूंगा। यह उनका पुराना तरीका है—दलितों और पिछड़ों की बात करो तो माइक बंद कर दो। लेकिन हम आवाज उठाते रहेंगे।”
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“संविधान सिर्फ किताब नहीं, सामाजिक क्रांति का दस्तावेज़ है”
राहुल गांधी ने संविधान को भारतीय लोकतंत्र की आत्मा बताते हुए कहा, “संविधान महज एक किताब नहीं है। यह हिंदुस्तान की 21वीं सदी की सामाजिक न्याय और समानता की सोच है। यह महात्मा गांधी, ज्योतिबा फुले, और छत्रपति शिवाजी की विचारधारा का प्रतिफल है। लेकिन आज देश में उस सोच को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। नरेंद्र मोदी सरकार संविधान दिवस पर कार्यक्रम तो करती है, लेकिन संविधान की आत्मा को कुचलती है। अगर उन्होंने वास्तव में संविधान पढ़ा होता, तो उनकी सरकार झूठ और दमन की राजनीति नहीं करती।”
“जातीय जनगणना के बिना सामाजिक न्याय अधूरा”
राहुल गांधी ने जातीय जनगणना को कांग्रेस की प्राथमिकता बताते हुए कहा, “हमें पता है कि देश में 15 प्रतिशत दलित, 8 प्रतिशत आदिवासी, और 10 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं। लेकिन पिछड़े वर्गों की सही संख्या का कोई डेटा नहीं है। पिछड़ा वर्ग 50 प्रतिशत से अधिक हो सकता है, लेकिन उनकी भागीदारी सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत है। यह अन्याय है। तेलंगाना में हमने जातीय जनगणना की प्रक्रिया शुरू की है। यह पहली बार हुआ है कि जातीय जनगणना एक जन आंदोलन बन गई है। हमारी सरकार जहां भी बनेगी, वहां जातीय जनगणना अनिवार्य रूप से होगी। जातीय डेटा के आधार पर सरकारी नीतियां बनाई जाएंगी, ताकि समाज के हर वर्ग को उनके अधिकार मिल सकें।”
“आरएसएस और मोदी सरकार अमीरों को फायदा पहुंचाने में व्यस्त”
राहुल गांधी ने कहा, “आरएसएस और मोदी सरकार का काम दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की दीवार को और मजबूत करना है। यह सरकार केवल 25 अरबपतियों के लिए काम कर रही है। देश का पैसा इन्हीं चंद लोगों की जेब में जा रहा है। मैं पूछता हूं, इन 25 अरबपतियों में से एक भी दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग का है? जवाब स्पष्ट है—नहीं। यह सरकार सिर्फ अमीरों को और अमीर बनाने का काम कर रही है। कांग्रेस इस आर्थिक और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़ेगी।”
“यूपीए ने शुरू की थी सामाजिक न्याय की दीवार तोड़ने की प्रक्रिया”
राहुल गांधी ने कहा कि पिछली यूपीए सरकार ने मनरेगा और भोजन के अधिकार जैसी योजनाओं के जरिए सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाए थे। उन्होंने स्वीकार किया कि यूपीए को और ज्यादा करना चाहिए था, लेकिन यह भी कहा कि कांग्रेस ने कम से कम उस असमानता की दीवार को तोड़ने की कोशिश की। उन्होंने वादा किया कि अब कांग्रेस जातीय जनगणना के साथ आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
“जातीय जनगणना से बदलेगा देश का भविष्य”
राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में कहा, “जातीय जनगणना सिर्फ एक राजनीतिक वादा नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की शुरुआत है। यह वह हथियार है जिससे हम समाज की गहरी असमानताओं को मिटा सकते हैं। बीजेपी और आरएसएस चाहे कितनी भी बाधाएं खड़ी कर लें, कांग्रेस इस लड़ाई को जीतकर रहेगी। हमारा लक्ष्य है—जातीय जनगणना को संसद में पास कराना और आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर हर वर्ग को उनका हक दिलाना।”
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“हम आवाज उठाते रहेंगे”
कार्यक्रम के दौरान लाइट जाने की घटना को उन्होंने प्रतीकात्मक बताया और कहा, “यह सरकार हर उस आवाज को बंद करना चाहती है जो गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासियों की बात करती है। लेकिन कांग्रेस की आवाज बंद नहीं होगी। चाहे माइक ऑफ हो, लाइट जाए, या और कोई कोशिश हो, हम संविधान की रक्षा करेंगे और हर भारतीय को न्याय दिलाएंगे।”
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