सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को दलित इंजीनियर की पिटाई के मामले में दो हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया है। मलिंगा पर 2022 में अपने समर्थकों के साथ बिजली विभाग के इंजीनियर की बुरी तरह पिटाई कर 22 हड्डियां तोड़ने का आरोप है। मलिंगा इसे साजिश बताकर कांग्रेस पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हैं।
राजस्थान में एक दलित इंजीनियर की पिटाई के मामले में पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को एक बार फिर सुर्खियों में आना पड़ा है। इस घटना ने राजस्थान के राजनीतिक और सामाजिक जगत में हलचल मचा दी है। मामला मार्च 2022 का है, जब धौलपुर के बाड़ी से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक गिर्राज मलिंगा पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर बिजली विभाग के सहायक अभियंता हर्षाधिपति को गंभीर रूप से घायल कर दिया। आरोपों के मुताबिक, पिटाई इतनी बर्बर थी कि इंजीनियर के शरीर की 22 हड्डियां टूट गई थीं, और वे अब भी बिस्तर पर हैं। घटना के समय विधायक मलिंगा के समर्थक ट्रांसफार्मर बदलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, जिससे विवाद बढ़ गया और यह हिंसक रूप ले बैठा। घटना के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इस मामले की जांच में जुट गए थे, और इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। यहां तक कि एसपी समेत कई अधिकारियों पर इस मामले के चलते कार्रवाई हुई थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटा
इस मामले में एक और महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब राजस्थान हाईकोर्ट ने गिर्राज मलिंगा की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उन्हें राहत दी थी। परंतु, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलटते हुए मलिंगा को दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया। जस्टिस वी. सुब्रमण्यम और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और मलिंगा को आदेश दिया कि वे सरेंडर करें ताकि कानून अपना काम कर सके। कोर्ट के इस निर्णय को पीड़ित इंजीनियर के परिवार और समाज के लिए न्याय की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप
पूर्व विधायक गिर्राज मलिंगा ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों से इनकार किया है और इसे अपने खिलाफ एक साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए उन पर झूठे आरोप लगाए गए, और इस पूरी घटना के पीछे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रेशर पॉलिटिक्स का हाथ है। मलिंगा ने आरोप लगाया कि इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए उन्होंने जांच अधिकारी बदलने की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनकी बात नहीं सुनी। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें कांग्रेस में उत्पीड़ित किया गया, जिसके कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। मलिंगा के इस कदम को राजनीति में एक अहम मोड़ माना गया, क्योंकि उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर कांग्रेस के विरुद्ध मुखर रुख अपनाया।
अशोक गहलोत की प्रेशर पॉलिटिक्स का आरोप
इस मामले के बाद, अशोक गहलोत ने गिर्राज मलिंगा को अपने घर पर बुलाया और वहां उन्हें गिरफ्तार करवाया। मलिंगा का कहना है कि यह उनके खिलाफ एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें उन्हें फंसाया गया और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया। मलिंगा ने दावा किया कि मुख्यमंत्री गहलोत के घर पर गिरफ्तारी कर उन्हें बेइज्जत करने की कोशिश की गई थी, ताकि उनके राजनीतिक करियर को ठेस पहुंचे और उन्हें कांग्रेस से बाहर करने का दबाव डाला जा सके। इस घटना ने राजस्थान की राजनीति में नई हलचल पैदा की और मलिंगा के समर्थकों के बीच गुस्सा और असंतोष बढ़ा।
चंबल के कुख्यात डकैत से टकराव का मामला
इस मामले के अलावा, गिर्राज सिंह मलिंगा पहले भी चर्चा में रहे थे, जब चंबल के कुख्यात डकैत जगन सिंह गुर्जर ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। एक वीडियो में डकैत जगन सिंह ने मलिंगा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करते हुए धमकी दी थी। वीडियो के सामने आने के बाद मलिंगा ने भी साहसिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी बंदूक से गोली निकलती है तो मेरी बंदूक से भी पानी नहीं निकलता। यह मामला भी उस समय मीडिया में काफी सुर्खियाँ बटोर चुका था। डकैत जगन की इस धमकी से मलिंगा के समर्थकों में नाराजगी थी, और इसे लेकर भी राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और राजस्थान की राजनीति में उथल-पुथल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिर्राज सिंह मलिंगा को सरेंडर करने के आदेश के बाद राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल मच गई है। जहां एक ओर कांग्रेस ने इसे न्याय की जीत बताया है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी के नेता इसे कांग्रेस की साजिश के रूप में देख रहे हैं। मलिंगा के समर्थकों का कहना है कि यह फैसला कांग्रेस के इशारे पर हुआ है और मलिंगा को जान-बूझकर निशाना बनाया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कानून को अपना काम करना चाहिए और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
दलित समाज में गुस्सा: सामाजिक न्याय और सुरक्षा का सवाल
दलित इंजीनियर की पिटाई की इस घटना से दलित समाज में काफी नाराजगी है। इंजीनियर हर्षाधिपति के साथ हुई बर्बरता ने राजस्थान के दलित समुदाय में सुरक्षा और न्याय के प्रति गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा और अत्याचार के मुद्दे को एक बार फिर से प्रमुखता से उजागर किया है। दलित संगठनों ने इस घटना के विरोध में आवाज उठाई है और मांग की है कि पीड़ित इंजीनियर को न्याय मिलना चाहिए और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
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राजस्थान का सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष
गिर्राज सिंह मलिंगा का यह मामला राजस्थान में जातिगत, सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष की एक बानगी है। इस घटना ने न केवल राजस्थान की राजनीति को हिलाकर रख दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि सत्ता के गलियारों में किस तरह दलितों और कमजोर वर्गों के अधिकारों को लेकर संघर्ष चलता है। अब सबकी नजरें मलिंगा के सरेंडर और अदालत में इस मामले की सुनवाई पर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मामला दलितों के न्याय और सामाजिक सुरक्षा के सवालों का हल निकाल पाएगा, या फिर यह केवल राजनीतिक विवादों में खो जाएगा।
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