फूलपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुजतबा सिद्दीकी पर दलित समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पूर्व बसपा विधायक राजकुमार गौतम ने यह शिकायत की, जिसके बाद सिद्दीकी ने माफी मांगी, लेकिन दलित समुदाय में आक्रोश बरकरार है।
UP News: उत्तर प्रदेश के फूलपुर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी विवादों में घिर गए हैं। सिद्दीकी के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 174 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले में आरोप है कि सिद्दीकी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में दलित समुदाय के लिए अपमानजनक जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे दलित समुदाय में नाराजगी फैल गई। प्रयागराज के गंगानगर जोन के सराय इनायत पुलिस स्टेशन में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व विधायक राजकुमार गौतम ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है और सपा की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी को लेकर दिया था बयान
मुजतबा सिद्दीकी के बयान के बाद दलित संगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों में आक्रोश फैल गया। सिद्दीकी ने इंटरव्यू में कहा कि “आजाद समाज पार्टी का प्रत्याशी केवल पासी जाति और एक विशेष समुदाय के वोटों पर ही चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि बहुजन समाज पार्टी भी इसी जाति के वोट पाने की कोशिश कर रही है। सिद्दीकी के इस बयान को दलित समुदाय के आत्मसम्मान पर प्रहार के रूप में देखा जा रहा है। उनका बयान उस वर्ग के अधिकारों और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला माना जा रहा है, जिसने अपने हक और प्रतिष्ठा के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है।
सिद्दीकी के इस बयान के बाद उन्होंने माफी भी मांगी
सिद्दीकी के इस बयान के बाद उन्होंने माफी भी मांगी, लेकिन इसका असर दलित समाज पर पड़ चुका है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनका बयान बसपा के संदर्भ में था, जिसमें वे पहले सदस्य थे। फिर भी, सिद्दीकी के बयान की आलोचना करते हुए कई दलित नेता और कार्यकर्ता यह मांग कर रहे हैं कि सपा नेतृत्व सिद्दीकी पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि दलित समाज के आत्मसम्मान की रक्षा हो सके। इस घटना के बाद, सपा की छवि पर दलित समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता का आरोप लगना शुरू हो गया है।
मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी का राजनीतिक करियर
मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी का राजनीतिक करियर भी खासा दिलचस्प है। वे 2002 और 2007 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सोरांव विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 2012 में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2017 में प्रतापपुर विधानसभा सीट से बीएसपी के प्रत्याशी के रूप में वे फिर विधायक बने। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। पिछले विधानसभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें फूलपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें लगभग ढाई हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
दलित संगठनों का कहना है:
दलित संगठनों का कहना है कि सपा ने हमेशा दलित हितों की बात की है, लेकिन जब उसके ही प्रत्याशी के बयान से दलित समाज आहत हो रहा है, तो सपा नेतृत्व को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इस मुद्दे ने सपा की दलित समर्थक छवि को भी झटका दिया है, क्योंकि समाज में यह धारणा बन रही है कि सपा भी सिर्फ राजनीतिक स्वार्थों के लिए दलित समाज का इस्तेमाल कर रही है। इस प्रकरण के बाद फूलपुर उपचुनाव में सपा की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है, क्योंकि दलित मतदाता अब उनकी ओर से दूर होते दिखाई दे रहे हैं।
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दलित समुदाय में आक्रोश फैल गया
वर्तमान विवाद और एफआईआर का असर केवल फूलपुर विधानसभा क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है। सिद्दीकी के बयान से उपजी नाराजगी ने दलित मतदाताओं के बीच सपा के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सपा अपने प्रत्याशी के इस बयान पर क्या रुख अपनाती है और क्या वह दलित समुदाय का विश्वास फिर से जीत पाएगी या नहीं ।
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