समाज कल्याण विभाग ने गरीब विधवा, वृद्ध, और दिव्यांगों की पेंशन के लिए पीएचएच राशन कार्ड और अन्य दस्तावेज अनिवार्य कर दिए, जिससे उनकी पेंशन रुक गई है। दलित चेतना मंच ने विरोध जताते हुए सरकार से इस शर्त को हटाकर पेंशन बहाल करने की मांग की है।
पिछले कुछ समय से गरीबों की पेंशन योजनाओं पर सरकार द्वारा अनावश्यक दस्तावेजों की मांग से विधवा, वृद्ध, और शारीरिक रूप से दिव्यांग लोग पेंशन सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के नए आदेश के बाद से गरीब और जरूरतमंद लोग पेंशन प्राप्त करने के लिए जटिल प्रक्रियाओं से गुजरने पर मजबूर हैं। इसके तहत सितंबर 2022 में जारी हुए नए आदेशों में पेंशन के लिए पीएचएच (प्राथमिकता प्राप्त परिवार) राशन कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। पीएचएच राशन कार्ड के अतिरिक्त गैर-पुनर्विवाह प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, बिजली बिल, और निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज जमा करना अनिवार्य कर दिया गया। इसके चलते गरीब लोगों के लिए पेंशन प्राप्त करना कठिन हो गया है, और कई मामलों में उनकी पेंशन बंद हो गई है।
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पीएचएच राशन कार्ड की अनिवार्यता ने लोगों की मुश्किलें बढ़ाईं
पेंशन प्राप्त करने के लिए पीएचएच राशन कार्ड अनिवार्य होने से जरूरतमंद लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग इस कार्ड को प्राप्त करने में असमर्थ हैं, क्योंकि राशन कार्ड का विभाजन लंबे समय से रुका हुआ है। ऐसे में, बहुत से पात्र लोग इस अनिवार्यता के कारण अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। समाज के निचले तबके के लोगों के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं होते हैं, और कई बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने के बावजूद वे राशन कार्ड प्राप्त नहीं कर पाते। इसके कारण उनकी पेंशन को रोक दिया गया है, जिससे उनकी जीवन-यापन की कठिनाइयां और भी बढ़ गई हैं।
दलित चेतना मंच का विरोध प्रदर्शन और मुख्यमंत्री से अपील
इन्हीं परेशानियों को देखते हुए दलित चेतना मंच ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया है। दलित चेतना मंच के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व पार्षद शाम लाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे को विस्तार से सामने रखा। उन्होंने बताया कि गरीब विधवा, वृद्ध, और दिव्यांगों के लिए पेंशन एकमात्र आय का स्रोत है, और इस प्रकार की जटिलताएं केवल उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष शाम लाल ने मांग की कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और समाज कल्याण मंत्री सकीना मसूद इत्तू इस मामले को गंभीरता से लें। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वे इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष रखें और पीएचएच राशन कार्ड की अनिवार्यता को समाप्त करें, ताकि पेंशन योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच सके। शाम लाल ने समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी आदेश को रद्द करने की भी मांग की, ताकि गरीबों को तत्काल राहत मिल सके।
बड़ी संख्या में गरीब और जरूरतमंदों का समर्थन
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ी संख्या में प्रभावित लोग भी उपस्थित रहे, जिसमें विधवा, वृद्ध महिलाएं, और शारीरिक रूप से विकलांग लोग शामिल थे। उन्होंने अपनी समस्याओं को साझा किया और बताया कि पेंशन की अनुपलब्धता उनके जीवन में कितनी बड़ी समस्या पैदा कर रही है। समाज के इन निचले तबके के लोगों के लिए यह पेंशन योजना किसी वरदान से कम नहीं थी, और इस पर रोक ने उनके जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर सीएल शिवगोत्रा, कुलदीप राज फौजी, गोपाल दास, ओम प्रकाश, हंस राज, सुभाष चंदर, मोहिंदर लाल, माखन सिंह जैसे लोग शामिल हुए और उन्होंने अपने अनुभव साझा किए।
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सरकार से न्याय की आस, पेंशन योजना बहाल करने की मांग
दलित चेतना मंच और उपस्थित लोगों ने एक सुर में सरकार से न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि सरकार को समाज के कमजोर वर्ग के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए और पेंशन योजना को आसान बनाना चाहिए। पेंशन के लिए राशन कार्ड और अन्य दस्तावेजों की शर्तें हटाकर इसे सरल करना चाहिए ताकि वृद्ध, विधवा और दिव्यांग लोग बिना किसी परेशानी के इस सुविधा का लाभ उठा सकें।
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