दलित चेतना मंच द्वारा आयोजित बैठक में 27 अक्टूबर को कर्पूरी भवन में दलित जागरुकता सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य केवल दलित समाज को जागरूक करना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी है, ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खुद खड़े हो सकें।
बेनीपुर अनुमंडल में दलित चेतना मंच द्वारा आयोजित दलित जागरुकता अभियान की शुरुआत ने एक नई दिशा और दृष्टिकोण को जन्म दिया, जिसमें समाज के उत्थान, अधिकारों की सुरक्षा और उन्हें जागरूक बनाने की चर्चा एक अहम मोड़ पर पहुंची। इस महत्वपूर्ण बैठक का नेतृत्व मंच के संस्थापक प्रमोद पासवान ने किया, जिन्होंने दलित समाज के भीतर चल रही समस्याओं पर गंभीरता से विचार करते हुए समाज को एकजुट करने का आह्वान किया। बैठक के संचालन का जिम्मा दिलीप पासवान ने उठाया, जो मंच के मुख्य रणनीतिकारों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि केवल शिक्षा से ही दलित समाज का उद्धार संभव नहीं है, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजग और सतर्क रहना होगा।
दलित समाज आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की ओर
दलित चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीरेन्द्र पासवान ने अपने सम्बोधन में एक मार्मिक सचाई पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज का दलित समाज शिक्षित तो है, लेकिन उसमें अधिकारों की समझ और उनकी रक्षा के प्रति जागरूकता की भारी कमी है। बीरेन्द्र पासवान ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि शिक्षा किसी भी समाज के उत्थान का आधार होती है, लेकिन यदि शिक्षा के साथ-साथ समाज को उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए जागरूक नहीं किया गया, तो वह शिक्षा अधूरी रह जाती है। उन्होंने अपने सम्बोधन में दलित समाज को आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने की अपील की, ताकि समाज अपने ऊपर होने वाले अत्याचार और अन्याय के खिलाफ मजबूती से खड़ा हो सके।
27 अक्टूबर को कर्पूरी भवन में दलित जागरुकता सम्मेलन आयोजित
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि 27 अक्टूबर को बेनीपुर के कर्पूरी भवन में एक विशाल दलित जागरुकता सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन न केवल दलित समाज को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करेगा, बल्कि उन्हें संगठित करने का प्रयास भी होगा। इस दौरान जिला के सभी कार्यकारिणी सदस्य, पदाधिकारी और प्रखंड अध्यक्ष की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी, ताकि हर स्तर पर इस जागरुकता अभियान का प्रसार हो सके। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह होगा कि दलित समाज अपने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को पहचान सके और उनके लिए लड़ने का साहस जुटा सके।
दलित समाज में जागरुकता की एक नई उठ चुकी है
बैठक के दौरान प्रवेश सदा, राजेन्द्र सदा, श्याम राम, कुमारी सोनी भारती, पवन सदा, इन्द्र कुमार राम, राम विनोद मल्लिक, मनोज पासवान, रौशन पासवान, और दिवेंद्र राम सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति इस बात का प्रतीक थी कि दलित समाज में जागरुकता की एक नई लहर उठ चुकी है। हर कार्यकर्ता ने अपनी बात रखते हुए समाज के उत्थान के लिए पूरी तरह से समर्पित रहने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के जरिए जिले भर से दलित समाज के लोग एकत्रित होंगे और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे।
बीरेन्द्र पासवान ने कहा:
बीरेन्द्र पासवान ने कहा कि हमारा दलित समाज सदियों से शोषण और अन्याय का शिकार रहा है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम इस शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि दलित समाज के भीतर यदि जागरूकता की अलख जगा दी जाए, तो कोई भी उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता। शिक्षा से अधिकारों का ज्ञान तो मिलता है, लेकिन जागरुकता से उन अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष की प्रेरणा मिलती है।
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इस बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने एक स्वर में यह निर्णय लिया कि आने वाला सम्मेलन दलित समाज के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल उन्हें संगठित करेगा, बल्कि उनके संघर्ष को एक नई दिशा भी देगा। सम्मेलन के माध्यम से दलित समाज के भीतर जागरुकता की एक नई ज्योति प्रज्वलित होगी, जो समाज के हर कोने तक पहुंचेगी। इस सम्मेलन का उद्देश्य केवल दलित समाज को जागरूक करना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी है, ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खुद खड़े हो सकें।
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