हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक जीत में दलित समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जहां राज्य की कुल 17 आरक्षित सीटों में से 9 पर भाजपा ने जीत हासिल की। इस सफलता ने दलितों की राजनीतिक ताकत को और मजबूत किया है, जिससे उनकी नुमाइंदगी नई सरकार में अनिवार्य हो गई है।
Haryana Politics: हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद अब पार्टी का पूरा ध्यान नई सरकार के गठन पर केंद्रित हो गया है। गुरुवार को भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें सभी 48 विधायक हिस्सा लेंगे। इस बैठक में सरकार गठन को लेकर विस्तृत चर्चा की संभावना है, हालांकि अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा। पार्टी के अंदरखाने इस बात पर गहन मंथन चल रहा है कि जातिगत संतुलन को साधते हुए किन-किन जातियों से कितने और कौन-कौन विधायक मंत्री बनाए जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री समेत कुल 14 मंत्री बनाए जा सकते हैं
हरियाणा में नई सरकार के मुखिया नायब सिंह सैनी होंगे, और भाजपा ने इस पर पहले से ही अपनी मंजूरी दे दी है। नायब सिंह सैनी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिसके बाद से नई सरकार के गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं। सरकार में मंत्रियों के नामों पर गहन मंथन चल रहा है, और यह चर्चा जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए हो रही है। मुख्यमंत्री समेत कुल 14 मंत्री बनाए जा सकते हैं, और इसमें अनुभवी नेताओं के साथ-साथ नए चेहरों को भी मौका देने की कोशिश की जा रही है।
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कैबिनेट में 11 नए चेहरों को शामिल करने की योजना
पिछली सरकार के दो ही मंत्री, मूलचंद शर्मा और महिपाल ढांडा, अपनी सीटें बचाने में सफल रहे हैं, इसलिए अब कैबिनेट में 11 नए चेहरों को शामिल करने की योजना है। भाजपा नेतृत्व इस बात को लेकर सजग है कि विभिन्न जातियों और समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व सरकार में सुनिश्चित किया जाए, ताकि हर वर्ग को यह महसूस हो कि उनकी आवाज सुनी जा रही है। दलित समुदाय, जिसने इस चुनाव में भाजपा को बड़ा समर्थन दिया है, का भी सरकार में प्रमुख प्रतिनिधित्व होगा। इसके अलावा, जाट, ब्राह्मण, पंजाबी और अन्य जातियों से भी संभावित मंत्रियों के नामों पर विचार किया जा रहा है।
दलित समुदाय का चुनाव में भाजपा को बड़ा समर्थन
हरियाणा में नई सरकार के गठन की तैयारियों के बीच दलित समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका को नजरअंदाज करना असंभव है। इस बार के चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत में दलित वोट बैंक ने निर्णायक भूमिका निभाई, खासकर आरक्षित सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। राज्य की 17 आरक्षित सीटों में से 9 पर भाजपा की जीत इस बात का सबूत है कि दलित समुदाय ने पार्टी पर अपना विश्वास दिखाया है। इस जीत के बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि नई सरकार के गठन में दलितों को उचित प्रतिनिधित्व कैसे दिया जाए। दलित समुदाय लंबे समय से राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व की मांग करता आ रहा है, और इस बार भाजपा के लिए यह एक अवसर है कि वह इस समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करे।
इन समुदाय से बन सकते हैं मंत्री
चुनाव नतीजों के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा विधानसभा में इस बार विभिन्न जातियों और समुदायों से आए विधायकों की संख्या ने जातिगत संतुलन को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। पंजाबी मूल के आठ विधायक, ब्राह्मण समुदाय से सात, और जाट तथा यादव समुदाय से छह-छह विधायक जीतकर आए हैं। इसके अलावा, गुर्जर, राजपूत, वैश्य, और एक ओबीसी विधायक भी विधानसभा में अपना स्थान बनाने में सफल हुए हैं।
दलित समुदाय
हरियाणा की नई सरकार में विभिन्न समुदायों से आने वाले संभावित मंत्रियों के नामों पर गहन चर्चा चल रही है। दलित विधायकों में कृष्णलाल पंवार, जो छह बार के विधायक हैं, और कृष्ण बेदी, जो दो बार के विधायक हैं, प्रमुख रूप से मंत्री पद के लिए चर्चा में हैं। ये दोनों नेता दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी राजनीतिक अनुभव और प्रभाव को देखते हुए उनके नामों पर विचार किया जा रहा है।
पंजाबी मूल के आठ विधायक
पंजाबी मूल के आठ विधायकों में से सबसे प्रमुख नाम अनिल विज का है, जो राज्य के पूर्व गृह मंत्री रह चुके हैं और सात बार के विधायक हैं। मार्च में वे तब नाराज हो गए थे जब खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन उनकी राजनीतिक पकड़ और अनुभव को देखते हुए उनका नाम फिर से चर्चा में है। इसी समुदाय से जींद के विधायक कृष्णन मिड्ढा, जो तीसरी बार इस सीट से जीते हैं, भी संभावित मंत्रियों में से एक हो सकते हैं। इसके अलावा यमुनानगर से घनश्याम दास अरोड़ा और हांसी से विधायक विनोद भयाना के नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना है, हालांकि अरोड़ा का पत्ता कट सकता है क्योंकि वह उसी अंबाला क्षेत्र से आते हैं जहां से अनिल विज की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
ब्राह्मण समुदाय
ब्राह्मण समुदाय से बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा, जो तीन बार विधायक रह चुके हैं, को मंत्रिमंडल में बनाए रखा जा सकता है। इसके अलावा अरविंद शर्मा, जो दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और गोहाना सीट से विधायक हैं, का नाम भी संभावित मंत्रियों में शामिल है। राम गौतम, जिन्होंने सफीदो सीट से जीत दर्ज की, जिसे भाजपा ने पहले कभी नहीं जीता था, उनके नाम की भी मंत्रिमंडल में चर्चा हो रही है।
यादव समुदाय
अहीरवाल बेल्ट से भाजपा को बंपर वोट मिले हैं और इस क्षेत्र से छह विधायक जीते हैं। मंत्री पद के लिए प्रमुख नाम राव नरबीर सिंह का है, जो बादशाहपुर से छह बार विधायक रह चुके हैं और 2014 की खट्टर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव, जिन्होंने अटेली सीट से पहली बार जीत दर्ज की, का नाम भी चर्चा में है। साथ ही, दो बार के विधायक लक्ष्मण यादव भी संभावित मंत्रियों की दौड़ में हैं। भाजपा जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इन नामों पर विचार कर रही है।
जाट समुदाय
हरियाणा में जाट समुदाय से संभावित मंत्रियों की सूची में कई प्रमुख नाम चर्चा में हैं। महिपाल ढांडा, जो निवर्तमान सैनी सरकार में मंत्री रह चुके हैं, पानीपत (ग्रामीण) से दोबारा जीते हैं और उन्हें कैबिनेट में बनाए रखने की संभावना जताई जा रही है। कृष्णा गहलावत, जो राई से दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं, भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। इसके अलावा, श्रुति चौधरी, जो राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती हैं, ने तोशाम से जीत हासिल की है और उनका नाम भी संभावित मंत्रियों में है। विपुल गोयल, जो वैश्य समुदाय से पूर्व मंत्री रह चुके हैं, का नाम भी इस सूची में शामिल है। एक बड़ा नाम सावित्री जिंदल का है, जो भारत की सबसे अमीर महिला मानी जाती हैं और उन्होंने हिसार से निर्दलीय विधायक के रूप में जीत दर्ज की है। उन्होंने हाल ही में भाजपा को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है, जिससे उनका नाम भी चर्चित हो गया है।
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राजपूत समुदाय
इसके साथ ही, राजपूत समुदाय से श्याम सिंह राणा और तीन बार के विधायक हरविंदर कल्याण को मंत्री बनाया जा सकता है। ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले रणबीर गंगवा, जो पिछली सरकार में डिप्टी स्पीकर रहे हैं, भी संभावित मंत्रियों में शामिल हैं। अंत में, तिगांव से दो बार के विधायक राजेश नागर को गुर्जर चेहरे के रूप में कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। इस प्रकार, भाजपा जाट और अन्य समुदायों के नेताओं के नामों पर गंभीरता से विचार कर रही है ताकि मंत्रिमंडल में विभिन्न समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
इस जीत ने साबित किया है कि दलित समुदाय की राजनीतिक ताकत को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अगर भाजपा इस समर्थन को बनाए रखना चाहती है, तो उसे दलितों के अधिकारों, उनकी समस्याओं, और सामाजिक-आर्थिक सुधारों पर ठोस कदम उठाने होंगे।
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