हरियाणा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार अतर लाल ने अटेली सीट पर शानदार प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को पीछे छोड़ते हुए 5679 वोटों की बढ़त हासिल की। यह जीत बसपा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है साबित हो सकती ।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों में जहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच दिखाई दे रहा है, वहीं अटेली विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। बीएसपी के उम्मीदवार अतर लाल ने इस सीट पर बड़ा उलटफेर करते हुए बीजेपी और कांग्रेस जैसे दिग्गज दलों को पीछे छोड़ दिया है। यह परिणाम मायावती जी और उनकी पार्टी के लिए हरियाणा में एक नए राजनीतिक समीकरण का संकेत दे सकता है।
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बीजेपी-कांग्रेस के लिए बड़ा झटका
अटेली विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला। पांच राउंड की मतगणना के बाद बीएसपी उम्मीदवार अतर लाल ने 5679 वोटों की बढ़त बना ली है, जिससे बीजेपी और कांग्रेस दोनों को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी के प्रत्याशी आरती राव और कांग्रेस की अनीता यादव, दोनों ही पीछे चल रही हैं, जबकि जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की उम्मीदवार आयुषी अभिमन्यु राव और आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी सुनील राव भी मुकाबले में कहीं नहीं दिख रहे हैं।
अटेली सीट पर यह उलटफेर केंद्रीय मंत्री इंद्रजीत राव के लिए भी बड़ा झटका है, क्योंकि यह सीट उनके प्रभाव वाली मानी जाती थी। पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी, और इससे पहले कांग्रेस का दबदबा रहा था। इस बार बीएसपी की जीत ने सभी पुराने समीकरणों को तोड़ दिया है।
मायावती जी के लिए बड़ी जीत
अगर अटेली सीट पर बीएसपी की जीत होती है, तो यह मायावती जी और उनकी पार्टी के लिए हरियाणा में बड़ी उपलब्धि होगी। बीएसपी को अक्सर हरियाणा में कमजोर माना जाता था, जहां जातिगत समीकरण और जाट-गैर जाट राजनीति हावी रहती है। लेकिन इस बार अतर लाल की बढ़त ने साबित कर दिया है कि दलित वोट बैंक अब सिर्फ एक पार्टी विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है।
दलित समाज, जो बीएसपी का प्रमुख आधार है, ने इस चुनाव में बीएसपी को न सिर्फ समर्थन दिया है, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने का संकेत भी दिया है। मायावती जी की पार्टी, जो उत्तर प्रदेश में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए जानी जाती है, अब हरियाणा में भी अपना परचम लहराने के लिए तैयार दिख रही है।
राजनीतिक विश्लेषण और संभावनाएं
हरियाणा में बीएसपी और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) का गठबंधन था, जिसे चुनाव से पहले किंगमेकर के रूप में देखा जा रहा था बीएसपी की यह बढ़त मायावती जी के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह पार्टी के दलित वोट बैंक में नई ऊर्जा का प्रमाण है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बीएसपी अटेली सीट पर जीत दर्ज करती है, तो यह पार्टी के लिए हरियाणा की राजनीति में बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। अटेली सीट पर वाल्मीकि, रविदासिया, और अन्य दलित समुदायों का प्रभाव है, जो बीएसपी के पारंपरिक वोट बैंक का हिस्सा हैं। इस सीट पर जीत बीएसपी के लिए राज्य में दलित राजनीति को पुनर्जीवित करने और एक नई दिशा देने का अवसर बन सकती है।
बीजेपी और कांग्रेस के लिए चुनौती
बीजेपी और कांग्रेस, जो हरियाणा की प्रमुख राजनीतिक ताकतें रही हैं, के लिए अटेली सीट पर बीएसपी की बढ़त एक बड़ा झटका है। बीजेपी, जो इस चुनाव में अपना तीसरा कार्यकाल हासिल करने की कोशिश कर रही है, और कांग्रेस, जो जाट-दलित समीकरण के जरिए सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी थी, दोनों ही पार्टियों के लिए यह नतीजा भविष्य की रणनीतियों पर सवाल खड़े कर रहा है।
बीएसपी की बढ़त से यह साफ है कि दलित समुदाय अब पारंपरिक राजनीति से आगे बढ़कर अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बना रहा है। यह हरियाणा की राजनीति के लिए एक नया अध्याय हो सकता है, जहां दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में होंगे।
अटेली सीट की अहमियत
अटेली विधानसभा सीट, जो महेंद्रगढ़ जिले में स्थित है, हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण मानी जाती है। यहां के मतदाता पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही फंसे रहे थे, लेकिन इस बार बीएसपी की बढ़त ने इस सीट को सुर्खियों में ला दिया है। अगर बीएसपी यहां जीत दर्ज करती है, तो यह पार्टी के लिए हरियाणा में एक मजबूत राजनीतिक जमीन तैयार करने का संकेत होगा।
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अंतिम परिणाम का इंतजार
हालांकि, अटेली सीट पर अभी तक कोई आधिकारिक परिणाम घोषित नहीं हुआ है, लेकिन बीएसपी की बढ़त ने सभी राजनीतिक समीकरणों को उलझा दिया है। हरियाणा की राजनीति में बीएसपी की यह सफलता निश्चित रूप से मायावती के नेतृत्व के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगी और हरियाणा में पार्टी के भविष्य के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी।
अंतिम परिणाम का सभी को बेसब्री से इंतजार है, लेकिन एक बात साफ है। इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने साबित कर दिया है कि उसे अब हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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