कर्नाटक भाजपा के वरिष्ठ दलित नेता श्रीनिवास प्रसाद ने बेंगलुरू अस्पताल में लीं अंतिम सांसें, PM मोदी ने जताया शोक

Share News:

1974 के उपचुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक उन्होंने कुल 14 चुनाव लड़े और इसमें 6 बार लोकसभा चुनाव और दो बार विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी। श्रीनिवास प्रसाद अम्बेडकर के विचारों, दलित समर्थक संघर्ष की सशक्त आवाज थे…

मैसूर। कर्नाटक के वरिष्ठ दलित नेता श्रीनिवास प्रसाद का बीमारी के बाद बेंगलुरू के एक अस्पताल में निधन हो गया। 76 वर्षीय दलित नेता ने वंचित-दमित-पिछड़े वर्ग के लिए महत्वपूर्ण काम किया, बल्कि दक्षिण कर्नाटक में इस वर्ग के बीच भाजपा की पकड़ मजबूत बनाने में भी महती भूमिका निभायी थी। कर्नाटक में शोषित-दलित वर्ग और जातिवाद से त्रस्त लोग उन्हें अपने मसीहा की तरह देखते थे।

मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक आज सोमवार 29 अप्रैल की सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गयी। जानकारी यह भी सामने आ रही है कि मल्टी आर्गन फेल्योर के बाद उनकी ​तबीयत काफी गंभीर थी और वह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे। मल्टी आर्गन फेल्योर के बाद उन्हें तीन दिन पहले ही परिजनों ने बेंगलोर के एक प्राइवेट अस्पताल में एडमिट करवाया था, जहां आज हार्ट अटैक के कारण उनक मौत हो गयी।

श्रीनिवास प्रसाद के परिवार में पत्नी प्रथिमा प्रसाद के अलावा दो बेटियां पूर्णिमा प्रसाद और पूनम प्रसाद हैं। बेटी पूर्णिमा प्रसाद ने मीडिया को जानकारी दी कि उनके पिता के शव को मैसूरु के जयलक्ष्मीपुरम इलाके में स्थित उनके आवास पर ले जायेंगे, जहां उनके चाहने वाले उनके अंतिम दर्शन कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स एकाउंट पर पोस्ट लिखी है, ‘वरिष्ठ नेता और चामराजनगर सांसद श्री वी श्रीनिवास प्रसाद के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। वह सामाजिक न्याय के लिए एक सेनानी थे, उन्होंने अपना जीवन गरीबों, दलितों और वंचितों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। वह अपने विभिन्न समाज सेवा कार्यों के कारण बहुत लोकप्रिय थे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’

चामराजनगर लोकसभा सीट से 6 बार सांसद रहे श्रीनिवास प्रसाद ने 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां से भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण रोल अदा किया था। दलित—पिछड़े वर्ग के बीच प्रसाद द्वारा काम करने के कारण एक बड़ा वोट भाजपा की झोली में आया। पांच दशक की सक्रिय राजनीति करने वाले श्रीनिवास प्रसाद चामराजनगर निर्वाचन क्षेत्र से पहले भाजपा सांसद बने थे। गौरतलब है कि 17 मार्च 1974 को वी श्रीनिवास प्रसाद ने पहली बार मैसूर में कृष्णराज निर्वाचन क्षेत्र के उप-चुनाव में ‘ऊंट’ चुनाव चिन्ह पर एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और उसके बाद 1976 में तत्कालीन जनता पार्टी से जुड़ गये। हालांकि अपने पांच दशक के राजनीतिक जीवन में प्रसाद भाजपा के अलावा कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर), जनता दल (यूनाइटेड) और समता पार्टी का हिस्सा भी रहे।

दलित होने के कारण उन्हें राजनीतिक जीवन में भी काफी संघर्ष करना पड़ा। उनसे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों वर्गों के नेता प्रभावित रहते थे। 1974 के उपचुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक उन्होंने कुल 14 चुनाव लड़े और इसमें 6 बार लोकसभा चुनाव और दो बार विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी। श्रीनिवास प्रसाद अम्बेडकर के विचारों, दलित समर्थक संघर्ष की सशक्त आवाज थे।

इस बार के चुनाव से ठीक पहले हालांकि शारीरिक समस्याओं के कारण उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में श्रीनिवास प्रसाद केंद्रीय खाद्य और नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री भी रहे।

श्रीनिवास प्रसाद के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेता प्रसाद का निधन सामाजिक न्याय की राजनीति के लिए गहरा झटका है। अलग राजनीतिक दल से होने के बावजूद भी हमारे रिश्ते उनसे काफी मधुर रहे थे।

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने प्रसाद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “अपने राजनीतिक करियर के अंतिम पड़ाव पर आकर उन्होंने भाजपा का दामन थामा था और अपने सिद्धांतों, विचारधारा और राष्ट्रवाद को जनता तक पहुंचने में मदद की। उनके निधन से बहुत बड़ी क्षति हुई है।”

 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!