राजस्थान में बढ़ रहे दलित अत्याचार के लिए ज़िम्मेदार कौन है?

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NCRB की रिपोर्ट भी कहती है कि सुरक्षा की दृष्टि से राजस्थान दलितों के लिए सबसे असुरक्षित राज्य बन गया है।

Dalit Atrocities In Rajasthan : राजस्थान के सलूंबर जिले के जावरमाइंस थाना क्षेत्र के अदवास गांव में गुरुवार की शाम हुए नृशंस हमले में एक शिक्षक की हत्या और उनके पिता के गंभीर घायल होने की घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले में शिक्षक शंकरलाल मेघवाल (40) की गर्दन कटने से मौके पर ही मौत हो गई जबकि पिता, डालचंद मेघवाल (60), गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल पिता को 108 एंबुलेंस के माध्यम से उदयपुर एमबी अस्पताल रेफर किया गया है।

वारदात का विवरण:

घटना शाम 7:05 बजे की है जब गांव का ही फतेह सिंह, पुत्र देवी सिंह, तलवार लेकर मेघवाल परिवार के घर पहुंचा। घर के बाहर चौकी में बैठे शंकरलाल और उनके पिता पर उसने ताबड़तोड़ हमला कर दिया। हमले में शंकरलाल की गर्दन कट गई और पेट पर गहरे घाव हुए जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। पिता का हाथ भी कट गया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। शंकरलाल मेघवाल सलूंबर ब्लॉक के पारी प्राथमिक स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। उनके परिवार में पत्नी ललिता, दो साल का बेटा, पाँच साल की बेटी और नौ साल की बेटी हैं।

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पुलिस की देरी:

घटना की सूचना के बाद भी पुलिस एक घंटे तक मौके पर नहीं पहुंची, जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों में जावरमाइंस थाना अधिकारी पवन सिंह, जावद चौकी प्रभारी विक्रम सिंह और अतिरिक्त पुलिस जाप्ता शामिल थे। घटना के दो घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन तब तक आरोपी फरार हो चुका था।

ग्रामीणों में भय और प्रशासनिक लापरवाही:

वारदात के बाद से गांव में भय का माहौल बना हुआ है। ग्रामीण घरों में दुबके हुए हैं और बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। आरोपी दिन भर तलवार लेकर क्षेत्र में घूमता रहा लेकिन पुलिस उसे पकड़ने में विफल रही। घटना के दौरान मृतक शंकरलाल अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेलकर घर पहुंचे थे।

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चंद्रशेखर आज़ाद का बयान:

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने इस घटना की निंदा करते हुए राजस्थान सरकार से सभी हमलावरों की शीघ्र गिरफ्तारी और सख़्त कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने घायल पिता के बेहतर इलाज की व्यवस्था करने और पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की है।

सरकार पर सवाल:

इस घटना ने राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस की देरी से कार्रवाई और उच्च अधिकारियों की अनुपस्थिति ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। ग्रामीणों का कहना है कि हत्या का आरोपी दिन भर तलवार लेकर क्षेत्र में घूमता रहा लेकिन पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम रही।

वर्तमान की यह घटना भी नृशंसता की हदें पार कर गई है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है बल्कि समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और हिंसा की भी गहरी समस्या को उजागर करती है। प्रशासन की लापरवाही और पुलिस की देरी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

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दलित अत्याचार की बढ़ती घटनाएं:

राजस्थान में दलितों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। कभी दलित दूल्हे की बारात नहीं निकलने दी जाती तो कभी मूंछे रखने पर दलित की हत्या कर दी जाती है। NCRB की रिपोर्ट भी कहती है कि सुरक्षा की दृष्टि से राजस्थान दलितों के लिए सबसे असुरक्षित राज्य बन गया है। दलित और आदिवासी महिलाओ के ऊपर अत्याचार, दलित की शव यात्रा को तथाकथित उच्च जाति के रास्ते पर नहीं जाने देना। दलित की बारात पर पथराव करने जैसी घटनाएं राजस्थान में आम हैं। लेकिन सवाल ये है कि राजस्थान में बढ़ रहे दलित अत्याचार के लिए ज़िम्मेदार कौन है? सरकार, जातिवादी मानसिकता रखने वाले या दलित खुद जो अपने हक के लिए आवाज़ नहीं उठा पा रहे है।

समाज और सरकार की भूमिका:

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए समाज और सरकार दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। समाज में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ प्रशासनिक तंत्र को भी मजबूत करना आवश्यक है। पुलिस की तत्परता और संवेदनशीलता सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण और संसाधनों की भी आवश्यकता है। अदवास की यह घटना न केवल एक परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। सरकार को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई कर न्याय सुनिश्चित करना चाहिए और समाज में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाना चाहिए। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति को सुधारने और समाज में सभी के लिए समान सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

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