UP: दलित बच्चों को मंदिर के बाहर खेलने पर पीटा , BJP विधायक ने समझौते का बनाया दबाव; चंद्रशेखर आजाद ने दी सड़क पर उतरने की चेतावनी

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यूपी में 3 दलित बच्चों को मंदिर के बाहर खेलने पर गाँव के दबंगों ने बंधक बनाकर पीटा और उनके परिवार को जातिसूचक गालियां दीं। प्रशासन पीड़ित परिवार पर समझौते का दबाव बना रहा है। वहीं दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।

UP News: मैनपुरी जिले के थाना बेवर क्षेत्रान्तर्गत दौदापुर गांव में 26 अगस्त 2024 को एक दर्दनाक और शर्मनाक घटना सामने आई, जिसने उत्तर प्रदेश के तथाकथित ‘रामराज्य’ में व्याप्त जातिवादी मानसिकता और सामाजिक भेदभाव की कड़वी सच्चाई को उजागर कर दिया। यह घटना तीन दलित बच्चों के साथ घटी, जिनका अपराध सिर्फ इतना था कि वे मंदिर के बाहर खेल रहे थे। इन बच्चों का मंदिर के आसपास खेलना गाँव के तथाकथित ‘सामंतियों’ को इतना नागवार गुज़रा कि उन्होंने इसे मंदिर की पवित्रता का उल्लंघन मान लिया। इस ‘अपवित्रता’ से आहत होकर गांव के दो दबंग व्यक्तियों ने बच्चों को बंधक बना लिया और बेरहमी से पीटा।

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दबंगों ने परिजनों को जातिसूचक गालियां दीं और धमकाया

यह घटना यहीं खत्म नहीं हुई। बच्चों पर अत्याचार के बाद जब परिवार के अन्य सदस्यों, जिनमें बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल थीं, ने इसका विरोध किया तो दबंगों ने उन्हें भी जातिसूचक गालियां दीं और धमकाया। सनी प्रताप जाटव, जो कि पीड़ित परिवार का सदस्य है, ने बताया कि उस दिन का मंजर ऐसा था कि पूरा परिवार सहम गया था। गाँव के दबंगों ने बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार किया और परिवार को सामाजिक रूप से अपमानित किया।

बीजेपी का विधायक परिवार पर समझौते का दबाव बना रहा

घटना के बाद परिवार ने न्याय की उम्मीद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। 26 अगस्त को FIR दर्ज तो हो गई, लेकिन घटना के कई दिन बाद भी आरोपी सामंतियों की गिरफ्तारी नहीं हुई। यह मामला उत्तर प्रदेश में व्याप्त जातिवादी सोच और प्रशासनिक लापरवाही की मिसाल बन गया है। पीड़ित परिवार का कहना है कि जब से यह घटना घटी है, वे लोग डर और दहशत में जी रहे हैं। उन्हें न केवल आरोपियों से बल्कि स्थानीय प्रशासन और सत्ता पक्ष से भी न्याय की उम्मीद कम हो रही है। बीजेपी के स्थानीय विधायक और सत्ता पक्ष के कुछ लोग लगातार परिवार पर समझौते का दबाव बना रहे हैं, जिससे परिवार और भी ज्यादा असुरक्षित महसूस कर रहा है।

पीड़ित परिवार दहशत में है

पीड़ित सनी प्रताप जाटव ने बताया कि गिरफ्तारी न होने की वजह से पूरे गांव में तनाव का माहौल है। परिवार को न्याय की उम्मीद तो है, लेकिन पुलिस की ओर से हो रही धीमी कार्रवाई से उनका भरोसा टूटता जा रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न होने से साफ तौर पर यह महसूस किया जा रहा है कि जातिवादी ताकतें न सिर्फ समाज में प्रभावशाली हैं बल्कि कानून और न्याय व्यवस्था पर भी उनका दबदबा है।

चंद्रशेखर आजाद ने इस जातिवादी घटना पर विरोध जताया

इस बीच, चंद्रशेखर आजाद ने मैनपुरी जिले की इस जातिवादी घटना पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी न होने और पीड़ित परिवार पर समझौते के लिए दबाव बनाए जाने की निंदा की है। चंद्रशेखर ने स्पष्ट किया कि अगर जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाओं में प्रशासन की निष्क्रियता जातिवादी सोच को बढ़ावा देती है, और अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो उनके संगठन को मजबूरन सख्त कदम उठाने पड़ेंगे।

https://x.com/BhimArmyChief/status/1835710665383727109?t=4oLh1QYGsAjvT8WFe0QekQ&s=19

जातिवादी मानसिकता आज भी फैली हुई है

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दुखद पहलू यह है कि जाति के आधार पर समाज के एक वर्ग को अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है, और प्रशासनिक तंत्र मूकदर्शक बना हुआ है। सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच हम एक आधुनिक समाज में जी रहे हैं, जहाँ हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिलता है? या फिर जातिवादी मानसिकता आज भी हमारे समाज की जड़ों में इतनी गहराई तक फैली हुई है कि कमजोर और हाशिए पर खड़े वर्गों को न्याय मिल पाना एक सपना भर है?

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ऐसी घटनाएं दोबारा न घटें

यदि इस घटना में जल्द ही कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो यह न सिर्फ पीड़ित परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी निराशा का कारण बनेगा। ऐसे मामलों में कार्रवाई में देरी केवल आरोपियों को हिम्मत देती है और पीड़ितों के मन में न्याय प्रणाली के प्रति अविश्वास पैदा करती है। ऐसे में, यह आवश्यक हो जाता है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए बिना किसी राजनीतिक या सामाजिक दबाव के न्याय सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न घटें और समाज में जातिगत भेदभाव की जड़ें कमजोर हों।

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