MP: झोपड़ी पर ट्रैक्टर चढ़ाया, फसल उजाड़ी, मुंह पर पेशाब किया: दलित परिवार पर जातिवादियों का कहर

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मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक दलित सहरिया परिवार पर जातिवादियों ने हमला कर उनकी झोपड़ी पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया, 10 बीघा गेहूं की फसल नष्ट कर दी, और बंधक बनाकर मारपीट की। महिला ने मुंह पर पेशाब करने और करंट लगाकर मारने की कोशिश का आरोप लगाया है। पुलिस ने जमीन विवाद में दोनों पक्षों पर मामला दर्ज किया है, लेकिन पीड़ित परिवार ने न्याय और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है।

मध्य प्रदेश के गुना जिले के सिरसी थाना क्षेत्र के करीली गांव में दलित समाज से जुड़े एक सहरिया आदिवासी परिवार के साथ बर्बरता का मामला सामने आया है। पीड़ित परिवार का कहना है कि पूर्व सरपंच और उसके रिश्तेदारों ने उनकी झोपड़ी पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया, 10 बीघा गेहूं की फसल उजाड़ दी, उन्हें बंधक बनाकर पीटा, और इस अमानवीयता की हद तब पार की जब एक आरोपी ने महिला के मुंह पर पेशाब कर दी।

पीड़ित महिला ने बताया:

पीड़ित महिला ने बताया कि घटना की रात वह अपने पति हरि सिंह, बेटा सोनू, देवर ज्ञानी सिंह, भतीजा राजू और देवरानी विद्दी बाई के साथ झोपड़ी में सो रही थी। तभी पूर्व सरपंच, उसके दो बेटे और 15-20 रिश्तेदार दो ट्रैक्टरों के साथ वहां पहुंचे। जातिवादियों ने ट्रैक्टर से उनकी झोपड़ी को कुचल दिया और खेत में खड़ी गेहूं की फसल नष्ट कर दी। जब परिवार ने विरोध किया तो उन्हें बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा गया। आरोप है कि आरोपियों ने करंट लगाकर उन्हें मारने की भी कोशिश की, लेकिन बिजली आपूर्ति रुक जाने से उनकी योजना विफल हो गई। इसके बाद उन्होंने पीड़ित परिवार को जान से मारने की धमकी दी।

पुलिस की भूमिका पर सवाल

घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस सुबह मौके पर पहुंची और पीड़ित परिवार के तीन सदस्यों—हरि सिंह, ज्ञानी सिंह और राजू को थाने लेकर गई। हालांकि, परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। मामले में एडिशनल एसपी मानसिंह ठाकुर ने कहा कि जमीन विवाद के मामले में दोनों पक्षों पर मामला दर्ज किया गया है। वहीं, महिला द्वारा लगाए गए पेशाब करने के आरोप की जांच की जा रही है।

दलित उत्पीड़न के खिलाफ उठी आवाज

इस घटना ने एक बार फिर से दलित समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की गहराई को उजागर कर दिया है। पीड़ित परिवार का कहना है कि दबंगों ने यह हमला इसलिए किया क्योंकि वे उन्हें उनकी जमीन से बेदखल करना चाहते हैं। परिवार ने न्याय की गुहार लगाई है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे दलितों के साथ हो रहे निरंतर अन्याय का एक और उदाहरण बताया है।

सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती

इस घटना ने प्रशासन और सरकार के दलित सुरक्षा के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आदिवासी दलित परिवारों पर इस तरह के हमले यह दर्शाते हैं कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए उठाए गए कदम जमीनी स्तर पर कितने प्रभावी हैं। पीड़ित परिवार ने मांग की है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और उन्हें न्याय दिलाने के लिए विशेष अदालत में मामला चलाया जाए।

ऐसे मामलों में प्रशासन की लापरवाही और दबंगों का बढ़ता मनोबल यह दर्शाता है कि समाज में जातिगत भेदभाव और अत्याचार खत्म होने की बजाय और गहराता जा रहा है। जब तक ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए जाते, तब तक दलित और आदिवासी समुदाय के लिए न्याय एक सपना ही रहेगा।

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