संविधान कितना भी अच्छा क्यों ना हो अंतत: वो बुरा साबित होगा अगर उसे प्रयोग में लाने वाले लोग बुरे हैं और संविधान कितना भी बुरा क्यों ना हो अंतत: वो अच्छा साबित होगा अगर उसे प्रयोग में लाने वाले लोग अच्छे हैं..।
यह बात संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर ने भारतीय संविधान के लिए संविधान सभा में कही थी। लेकिन इसके अलावा भी भारतीय संविधान से जुड़ी कई रोचक बातें हैं जो आप सभी के लिए जानना जरूरी है। आज 26 नवंबर हैं और आज के दिन भारत में संविधान दिवस मनाया जाता। लेकिन यह क्यों मनाया जाता है और संविधान से जुड़ी वो रोचक बातें क्या हैं..आइए जानते हैं।
क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस :
साल 2015 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 26 नवंबर 2015 को संविधान दिवस मनाया गया था। जिसके बाद हर साल इस दिन को मनाया जाने लगा। इस दिन को मनाने का मकसद संविधान के महत्व और डा. भीमराव आंबेडकर के विचारों को फैलाना है। बाबा साहेब अम्बेडकर ने भारतीय संविधान का निर्माण किया था। हमारे संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। बाबा साहेब अंबेडकर ने 40 से अधिक देशों की यात्रा की और उन देशों के संविधान को पढ़ा और ज़रूरी चीज़ों को एकत्र कर हमारे संविधान में शामिल किया।
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बाबा साहेब ने अकेले बनाया संविधान ?
जी हां ये बिल्कुल सही है कि डॉ आंबेडकर ने भारत का संविधान अकेले तैयार किया था। हालांकि कुछ मनुवादी मानसिकता के लोग अक्सर ये कहते मिल जाते हैं कि संविधान अम्बेडकर ने संविधान नहीं लिखा है। ऐसे लोगों को आज तक यही समझ नहीं आया कि लिखने और तैयार करने में फर्क होता है। बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान का पूरा खाका तैयार किया था। संविधान सभा से फाइनल होने के बाद हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से इटैलिक शैली में लिखा था जिन्होंने इसे देहरादून में खुद ही प्रकाशित भी किया।
जब 1947 में संविधान सभा में संविधान का मसौदा पेश किया गया तो इसमें करीब 7, 500 संशोधन सुझाए गया। जिसमें से 2, 500 को स्वीकार किया है। इसके बाद संविधान के मसौदे में संशोधन करने के लिए 7 लोगों की ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई गई लेकिन सारा काम डॉक्टर अम्बेडकर को अकेले ही करना पड़ा क्योंकि बाकी के 6 लोग जिनमें कन्हैयालाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्लाह, अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर, गोपाळ स्वामी अय्यंगार, एन. माधव राव और टीटी कृष्णामचारी थे बीमारी और मृत्यु के वहज से संविधान सभा को पर्याप्त समय नहीं दे पाए थे। यह बात खुद ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य टीटी कृष्णामचारी ने 1948 में संविधान सभा में कही थी। लगातार बीमार रहने के बावजूद और शुगर की समस्या जे जूझने के बाद भी डॉ भीमराव अंबेडकर ने अकेले संविधान बनाया था। इतना ही नहीं आंबेडकर ने करीब 100 दिनों तक संविधान सभा में खड़े होकर संविधान के पूरे ड्राफ्ट को धैर्यपूर्वक समझाया और हर एक सुझाव पर विमर्श किया।
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क्या है हमारे संविधान की खासियत :
· 1934 में भारतीय संविधान सभा की मांग करने वाले पहले व्यक्ति एमएन रॉय थे। वह भारतीय क्रांतिकारी और कट्टरपंथी कार्यकर्ता थे। एक साल बाद कांग्रेस ने इसे आधिकारिक मांग माना और इस प्रस्ताव को बाद में भारत सरकार अधिनियम 1935 के रूप में अधिनियमित किया गया।
· भारतीय संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से इटैलिक शैली में लिखा है।
· हस्तलिखित भारतीय संविधान के प्रत्येक पृष्ठ और प्रस्तावना पृष्ठ को शांतिनिकेतन के चित्रकारों द्वारा अलंकृत किया गया है जिनमें बेहर राममनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस शामिल हैं।
· भारतीय संविधान को बनाने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे, जिसे लागू करने में कुल 6.4 मिलियन रुपये का खर्च आया।
· पहले मसौदे में 2000 से अधिक संशोधन किए गए थे जिसके लिए 7 सदस्यों की ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई गयी थी। मूल मसौदे में कुल 2,475 संशोधन किए गए।
· संविधान सभा के 284 सदस्यों ने संविधान को स्वीकार किया और उस पर हस्ताक्षर किए। 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक के समय संविधान में 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियाँ और 22 भाग शामिल थे। वर्तमान में 470 अनुच्छेद हैं जो 25 भागों, 12 अनुसूचियों और 5 परिशिष्टों में विभाजित हैं।
· भारतीय संविधान को उधार का थैला कहा जाता है। क्योंकि क्योंकि इसके कई प्रावधान अन्य देशों के संविधानों से लिए गए हैं। इसे भारत के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, भौगोलिक विविधता और सांस्कृतिक विशेषताओं को ध्यान में रखकर लिखा गया था।
· उदाहरण के लिए, विधायी प्रक्रिया, एकल नागरिकता, कैबिनेट प्रणाली और द्विसदनीयता की अवधारणाएं ब्रिटिश संविधान से उधार ली गई थीं।
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· प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, राष्ट्रपति पर महाभियोग, सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाना, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के कार्य आदि संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिए गए हैं।
· स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों की अवधारणा फ्रांसीसी संविधान की प्रस्तावना से ली गई थी।
· भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे लंबा संविधान होने के लिए भी प्रसिद्ध है। 117,369 शब्दों वाला यह दुनिया का सबसे लंबा संविधान है।
· भारतीय संसद के पुस्तकालय में अद्वितीय हीलियम-भरे बक्से हैं, जिनमें भारतीय संविधान की मूल प्रतियां स्याही के ऑक्सीकरण को रोकने के लिए सुरक्षित रखी गई हैं।
· 1935 में भारत सरकार अधिनियम को भारतीय संविधान द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। 1935 का भारत सरकार अधिनियम भारतीय संविधान की आधारशिला है। जब संविधान ने देश के प्राथमिक कानून के रूप में भारत सरकार अधिनियम की जगह ले ली, तो भारत गणराज्य बन गया।
· 26 जनवरी 1950 को अशोक का सिंह चिह्न देश का राष्ट्रीय प्रतीक बन गया। चार एशियाई सिंह शक्ति, साहस, गर्व और आत्मविश्वास के प्रतीक हैं।
· भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर थे, जिन्हें भारतीय संविधान का जनक माना जाता है। उन्होंने ही लगभग 60 अन्य देशों के कानूनों पर शोध करने के बाद भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया था।
· भारतीय संविधान के लागू होने तक ही भारतीय महिलाओं को वोट देने का पूरा अधिकार प्राप्त था। 1949 में संविधान द्वारा भारत में महिलाओं के लिए पूर्ण मताधिकार की शुरुआत की गई थी।
· जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया, जो बाद में संविधान की प्रस्तावना में बदल गया। आपातकाल के दौरान 1976 में 42वें संशोधन के तहत प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्द जोड़े गए। इसने संविधान के मूल सिद्धांतों को रेखांकित किया।
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· भारतीय संविधान पर सबसे पहले देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हस्ताक्षर किए थे। अंतिम हस्ताक्षरकर्ता फिरोज गांधी थे, जो उस समय संविधान सभा के अध्यक्ष थे।
· डॉ. बीआर अंबेडकर ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 को इस दस्तावेज़ का “हृदय और आत्मा” कहा है। यह किसी भी नागरिक को किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन होने की स्थिति में उसे बरकरार रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में शिकायत दर्ज करने का अधिकार देता है। संवैधानिक उपचार का अधिकार इसका दूसरा नाम है।
· इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 पारित किया, जो भारतीय संविधान में सबसे महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक है। इस क़ानून को “मिनी-संविधान” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसने भारतीय संविधान में कई संशोधन किए हैं। इसमें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधिकार को कम करने की मांग करने वाली धाराएँ शामिल की गईं, नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को रेखांकित किया गया और प्रस्तावना में “समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष” और “अखंडता” जैसे शब्द जोड़े गए।
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