“बाबा साहेब आज जिंदा होते तो क्या ये तमाशा देखकर उनको दुख नहीं होता”, बीजेपी की इस हरकत पर भड़के चन्द्रशेखर आजाद

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चंद्रशेखर आजाद ने हरियाणा शपथ समारोह में राज्यपालों की उपस्थिति को संविधान का अपमान बताया और बीजेपी पर संवैधानिक पदों के राजनीतिकरण का आरोप लगाते हुए बाबा साहेब अंबेडकर के सपनों की रक्षा और संवैधानिक मूल्यों को बचाने के लिए दलित अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट संघर्ष की अपील की।

आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने हरियाणा के मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह के दौरान संविधान की धज्जियां उड़ाने के मुद्दे पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मौजूदा बीजेपी सरकार संवैधानिक मूल्यों को कमजोर कर रही है। चंडीगढ़ में हुए इस शपथ ग्रहण समारोह में कई राज्यों के राज्यपालों और एक उपराज्यपाल की उपस्थिति पर सवाल उठाते हुए चंद्रशेखर ने इसे “संविधान का अपमान” करार दिया।

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संवैधानिक पदों का राजनीतिकरण और बाबा साहेब का सपना

उन्होंने कहा, “बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान में राज्यपाल के पद का सृजन राज्य सरकारों के ऊपर एक निष्पक्ष भूमिका निभाने के लिए किया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने इन संवैधानिक पदों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए महज कठपुतली बना दिया है।”

बीजेपी पर संवैधानिक पदों का दुरुपयोग

चंद्रशेखर आजाद ने अपने बयान में कहा कि हरियाणा में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में जिन राज्यपालों को बुलाया गया था, वे सभी बीजेपी के कार्यकर्ताओं की तरह वहां उपस्थित थे, जो कि संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस मंच पर राज्यपाल और उपराज्यपाल को बुलाकर बीजेपी ने यह साबित कर दिया कि संवैधानिक पद केवल राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। चंद्रशेखर ने बीजेपी पर संवैधानिक पदों के राजनीतिकरण का गंभीर आरोप लगाया और इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया।

दलित समुदाय के लिए संवैधानिक सुरक्षा का महत्व

चंद्रशेखर आजाद ने दलित समुदाय के लिए संवैधानिक सुरक्षा और अधिकारों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान ही वह ढाल है जिसने दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों को समानता और अधिकार दिए हैं। बीजेपी सरकार द्वारा संविधान की अनदेखी दलित समुदाय के भविष्य पर सीधा हमला है। चंद्रशेखर ने सवाल उठाया कि यदि बाबा साहेब अंबेडकर आज जिंदा होते तो क्या वे इस प्रकार के राजनीतिकरण को देखकर दुखी नहीं होते? उन्होंने कहा, “संविधान ने हमें जो सुरक्षा दी है, वह आज खतरे में है। यदि आज हम आवाज नहीं उठाते, तो हमारा भविष्य अंधकारमय हो सकता है।”

प्रधानमंत्री मोदी और संविधान की रक्षा की बात

चंद्रशेखर आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि जब भी बीजेपी पर संविधान के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगते हैं, तब प्रधानमंत्री संविधान की रक्षा की बात करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि उनके ही नेतृत्व में संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि शपथ ग्रहण समारोह में संवैधानिक पदों का इस तरह का राजनीतिकरण क्यों हुआ? क्या यह संविधान का अपमान नहीं है?

दलित समाज के लिए चंद्रशेखर का संघर्ष

चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनका संघर्ष केवल सत्ता के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन तमाम ताकतों के खिलाफ है जो दलित समाज के अधिकारों और सम्मान को कुचलने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई संविधान और बाबा साहेब के सपनों को बचाने की है। हम किसी भी कीमत पर अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे।”

उन्होंने आगे कहा कि दलित समाज को एकजुट होना होगा और ऐसे राजनीतिक षड्यंत्रों के खिलाफ खड़ा होना होगा, जो उनके संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की अपील

चंद्रशेखर आजाद ने देश के सभी नागरिकों से संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि संविधान ही वह नींव है जिस पर हमारे लोकतंत्र का निर्माण हुआ है और इसे कमजोर करना हमारी आजादी और अधिकारों को खतरे में डालना है।

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उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहेब के दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही हम एक न्यायपूर्ण और समान समाज का निर्माण कर सकते हैं, जहां हर नागरिक को समान अधिकार और सम्मान मिले। उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों से संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया।

संवैधानिक पदों का दुरुपयोग

चंद्रशेखर आजाद का बयान न केवल बीजेपी सरकार की संवैधानिक पदों के दुरुपयोग पर एक कड़ा हमला था, बल्कि यह दलित समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। संविधान को बचाने और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उनका यह संघर्ष आने वाले दिनों में और भी जोर पकड़ सकता है। दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकता है, और इसके प्रभाव से भारतीय राजनीति में एक नई दिशा का आगमन संभव है।

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