गोल्डन गर्ल’ ने लगातार 2 गोल्ड जीतकर रचा इतिहास, जानियें अवनी लेखरा की संघर्ष की कहानी

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अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा। वो लगातार दो पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गईं। गोल्ड मेडल जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवनी को बधाई दी है. जिस पर अवनी ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया हैं …

Inspirational Story: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने शानदार शुरुआत की है। भारत की अवनी लेखरा (गोल्डन गर्ल) ने पेरिस पैरालंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर लगातार दूसरी बार यह ओलंपिक उपलब्धि हासिल की है। इससे पहले, उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में भी इसी इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। बता दें, पेरिस में, उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 इवेंट में अपने ही पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवनी को दी बधाई 

अवनी लेखरा भारत के खेल क्षेत्र में एक चमकते सितारें के रूप में उभरी हैं। अपनी दृढ़ता और मेहनत से उन्होंने खेलों की दुनिया में एक नई मिसाल कायम की है, लेकिन उनकी यात्रा आसान नहीं रही है। उनके संघर्षपूर्ण सफर ने साबित किया है कि कठिनाइयों के बावजूद, समर्पण और मेहनत से असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। अवनी लेखरा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवनी को बधाई दी है. जिस पर अवनी ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया हैं ।

अवनी लेखरा की प्रेरणादायक कहानी…..

अवनी लेखरा की सफलता के पीछे कई वर्षों की मेहनत और जुनून है। अवनी लेखरा का सफर बहुत संघर्षपूर्ण रहा है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी प्रेरणादायक है, और यह दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी मजबूत मनोबल और मेहनत से बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। तो आइये जानते हैं अवनी लेखरा की कहानी…..

11 साल की उम्र में पैराप्लेजिया की हुई शिकार

अवनी लेखरा जयपुर, राजस्थान से हैं। वह दलित समुदाय से आतीं है। 2012 में एक गंभीर सड़क दुर्घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। इस दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोटें आईं, जिससे वह लकवाग्रस्त हो गईं और व्हीलचेयर का सहारा लेने लगीं। 11 साल की छोटी उम्र में इस प्रकार की कठिनाई और सदमा सहना आसान नहीं था, लेकिन अवनी ने हार मानने के बजाय साहस और दृढ़ता के साथ अपनी लड़ाई जारी रखी।

पिता ने बढ़ाया मनोबल

पैराप्लेजिया का शिकार अवनी इस कठिन समय में पूरी तरह से हिम्मत हार चुकी थीं और अपने कमरे से भी बाहर नहीं निकलती थीं। लेकिन उनके परिवार ने उन्हें संजीवनी दी। खासकर, उनके पिता ने उन्हें खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया और उनका पूरा समर्थन किया, जिससे अवनी ने धीरे-धीरे अपनी मुश्किलों पर काबू पाया और खेल में सफलता की ओर बढ़ी। और अवनी ने अभिनव बिंद्रा की उपलब्धियों से प्रेरित होकर 2015 में शूटिंग में कदम रखा। उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें जल्द ही सफलता की ओर अग्रसर किया, और उन्होंने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जीत हासिल की। अवनी ने जूनियर और सीनियर लेवल पर विश्व रिकॉर्ड सेट कर इतिहास रचा और अपनी पहचान बनाई।

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2015 में ट्रेनिंग की शुरू

अवनी लेखरा ने 2015 में ट्रेनिंग शुरू की और अपनी पहली राजस्थान स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने लगातार सफलता की ओर कदम बढ़ाया, और 2016 से 2020 तक नेशनल चैंपियनशिप में 5 गोल्ड मेडल जीते। कानून की छात्रा अवनी ने टोक्यो ओलंपिक में भी गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा और वह पैरालंपिक में गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट बनीं।

अवनी ने ट्रेनिंग के साथ पढ़ाई रखी जारी

खेलों के प्रति गहरा लगाव रखने वाली अवनी लेखरा ने अपने व्यस्त ट्रेनिंग शेड्यूल के बावजूद अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में 5 साल के लॉ डिग्री प्रोग्राम में एडमिशन लिया, जो उनके हुनर और कुछ भी कर गुजरने के जुनून को दर्शाता है। इसके साथ ही, उनका नाम दुनियाभर में तब चमका जब उन्होंने 2021 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता।

2020 में दो मेडल जीतकर रचा इतिहास

अवनी लेखरा ने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में एक ही इवेंट में दो मेडल जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने शूटिंग में पहले गोल्ड और फिर ब्रॉन्ज मेडल जीता, और वह एक ही इवेंट में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरालिंपियन बनीं। उनकी इस महान उपलब्धि की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। इस सफलता के लिए अवनी को पद्म श्री और खेल रत्न जैसे प्रतिष्ठित और बड़े पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है ।

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