भाजपा सरकार यदि वास्तव में कांशीराम के योगदान को सम्मानित करना चाहती है, तो उसे तुरंत भारत-रत्न की उपाधि देने का कदम उठाना चाहिए
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने हाल ही में अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने लिखा:
“यूपी भाजपा के एक दलित सांसद द्वारा बीएसपी के जन्मदाता व संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम को भारत-रत्न की उपाधि देने की मांग करने की बजाय केंद्र की सत्ता में अपनी सरकार से इसे तुरंत दिलवाये, जिसका बीएसपी भी दिल से स्वागत करेगी, वरना इसकी आड़ में दलितों को गुमराह करना बंद करें।”
यह भी पढ़ें : पेपर लीक के पर्याप्त सबूतों के बाद सुप्रीम कोर्ट का दोबारा NEET परीक्षा न कराने का फैसला कितना सही ?
यह बयान तब आया जब भाजपा सांसद अरुण कुमार सागर ने लोकसभा में बसपा संस्थापक कांशीराम को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से सम्मानित करने की मांग की। अरुण कुमार सागर ने कहा कि कांशीराम का समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान इतना महत्वपूर्ण है कि उन्हें यह सम्मान मिलना चाहिए।
भाजपा सांसद का बयान :
भाजपा नेता अरुण कुमार सागर ने कांशीराम को ‘बहुजन नायक’ बताते हुए कहा कि वे एक महान राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। कांशीराम भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण नेता थे, जिन्होंने दलित समुदाय के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।
कांशीराम का जीवन और योगदान :
कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपर जिले में हुआ था। वे बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक थे, जो दलित, आदिवासी, और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। उनके जीवन और कार्यों की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- दलित अधिकारों के संघर्ष में योगदान: कांशीराम ने दलित समुदाय के अधिकारों और उनके सम्मान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने दलितों को एकजुट करने और उनके अधिकारों के लिए जागरूकता फैलाने का कार्य किया।
-
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना: 1984 में उन्होंने BSP की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य दलित, आदिवासी, और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा करना था। BSP ने उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में महत्वपूर्ण राजनीतिक सफलता प्राप्त की, जिससे दलित समुदाय की आवाज़ को एक नया मंच मिला।
-
सामाजिक न्याय और समानता: कांशीराम ने सामाजिक न्याय और समानता की बात की और उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि हर व्यक्ति को उसके अधिकार मिले, चाहे उसकी जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। उनका यह दृष्टिकोण दलितों और अन्य उपेक्षित वर्गों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था।
यह भी पढ़ें : Sc, St, OBC प्रतिनिधित्व पर संसद में बोले चंद्रशेखर आज़ाद, “अब तो हमें अवसर मिलना चाहिए”
- सकारात्मक बदलाव: उनके प्रयासों से दलित समुदाय में जागरूकता और आत्मसम्मान बढ़ा। उन्होंने शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी सुधार की दिशा में काम किया। उनके प्रयासों के कारण दलित समुदाय को अपने अधिकारों और संभावनाओं के बारे में जागरूकता प्राप्त हुई और वे समाज में एक सम्मानजनक स्थान हासिल कर सके।
मायावती की प्रतिक्रिया :
मायावती का बयान इस संदर्भ में आया है कि भाजपा सरकार यदि वास्तव में कांशीराम के योगदान को सम्मानित करना चाहती है, तो उसे तुरंत भारत-रत्न की उपाधि देने का कदम उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा ऐसा नहीं करती है, तो दलित समुदाय को गुमराह करना बंद करे। मायावती की इस प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि वे कांशीराम के प्रति गहरा सम्मान और उनके योगदान की सच्ची सराहना चाहती हैं।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।