CM योगी से इस्तीफे की मांग: रामगोपाल मिश्रा की मौत के बाद बहराइच में बवाल, परिजनों ने कहा ‘खून के बदले खून चाहिए’

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बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए विवाद के बाद फैली हिंसा में रामगोपाल मिश्रा की हत्या ने माहौल को और भड़काया। वहीं जारी हिंसा ने स्थिति को अत्यधिक गंभीर बना दिया है, जहां प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बेकाबू होता दिख रहा है। इसके अलावा कई लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

UP News: बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए विवाद और हिंसा के बाद रामगोपाल मिश्रा की हत्या ने पूरे इलाके को आक्रोशित कर दिया है। इस घटना के बाद हालात बेकाबू होते जा रहे हैं, जहां गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि पुलिस को भारी संख्या में तैनात किया गया है, लेकिन अभी भी स्थिति काबू में नहीं आ रही है। हालांकि, प्रशासन ने परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन हालात को संभालना मुश्किल हो रहा है। मृतक के परिजन शव का अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं थे, लेकिन विधायक द्वारा आश्वासन मिलने के बाद वे अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए। बावजूद इसके, माहौल लगातार हिंसक होता जा रहा है।

प्रदर्शनकारियों का उग्र रूप

रामगोपाल मिश्रा की मौत से नाराज ग्रामीणों ने लाठी-डंडों के साथ महराजगंज में धावा बोल दिया, और वर्ग विशेष के दुकानों और घरों को निशाना बनाया गया। इसके बाद से इलाके में स्थिति और बिगड़ गई है। लोगों ने गुस्से में एक डिस्पेंसरी में आग भी लगा दी। यह हिंसा अब एक व्यापक सांप्रदायिक तनाव का रूप ले रही है, जिससे इलाके में शांति और सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।

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पुलिस की कार्रवाई और प्रशासन की चुनौती

इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है, लेकिन हालात अभी भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं हैं। पुलिस लगातार भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं, और पुलिस को किसी भी स्थिति में आरोपियों को पकड़ने और शांति बहाल करने का निर्देश दिया है। लेकिन हिंसा की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, जिससे प्रशासन पर भारी दबाव बना हुआ है।

आरोपियों पर कार्रवाई की मांग

मृतक रामगोपाल मिश्रा के परिजनों ने प्रशासन पर कार्रवाई न करने का गंभीर आरोप लगाया है। उनकी पत्नी, रोली मिश्रा ने खुलकर आरोपी का एनकाउंटर करने की मांग की है। ग्रामीणों ने आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग भी की है, जो हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में एक बड़ा प्रतीक बन गया है। स्थानीय लोगों का गुस्सा इस कदर बढ़ चुका है कि वे तहसीलदार पर भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं, जिसके चलते पुलिस ने उन्हें भीड़ से सुरक्षित निकालने का प्रयास किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवाल

इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर तीखे सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर #बहराइच और #योगीइस्तीफा जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं, जिनमें लोग मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि योगी सरकार के कार्यकाल में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं और राज्य में अराजकता का माहौल बन गया है। सोशल मीडिया पर बढ़ते इस अभियान में लोग प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था का हवाला दे रहे हैं और सरकार की आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में कानून व्यवस्था की हालत इतनी खराब हो गई है कि हर दिन लोगों की हत्या हो रही है और सुरक्षा व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है।

दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार

योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में सबसे गंभीर आरोप यह है कि उनके प्रशासन के दौरान दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अत्याचार और भेदभाव चरम पर पहुंच गया है। कई मामलों में दलितों और पिछड़ों पर हमलों की खबरें आई हैं, जिनमें से अधिकांश में कार्रवाई में देरी या कोई ठोस कदम न उठाए जाने का आरोप है। ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय मिलने में बाधाएं उत्पन्न की गईं, जिससे समाज के हाशिये पर खड़े लोगों के बीच गहरी नाराजगी है।

अल्पसंख्यक समुदाय भी योगी सरकार के कार्यकाल में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। मथुरा, मेरठ, और अन्य कई जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की खबरें सामने आई हैं, जिन्हें लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विरोधी दल और सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर सरकार की कड़ी आलोचना की है, और सरकार की नीतियों को असंवेदनशील बताया है।

सियासत गर्म

योगी आदित्यनाथ की आलोचना केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रही। राज्य के कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने भी उन पर तीखे हमले किए हैं। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों ने योगी सरकार पर जनता को असुरक्षित छोड़ने और अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश को “जंगलराज” में बदल दिया है, जहां अपराधियों का मनोबल ऊंचा है और आम जनता दहशत में जी रही है।

बसपा सुप्रीमो मायावती और अखिलेश यादव

बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने विशेष रूप से दलित और पिछड़े वर्गों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों को लेकर सरकार की तीखी आलोचना की है। मायावती ने कहा है कि “योगी सरकार में दलित और पिछड़े वर्गों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, और यह सरकार उनके अधिकारों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है।” वहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि “प्रदेश में अराजकता और भय का माहौल है, जहां गरीब और कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है।”

इसे देखें: दलित समाज की दो बेटियों के साथ गैंगरेप: पंचायत में दो दिन तक मामला दबा, फिर दर्ज हुई शिकायत, आरोपी फरार

सोशल मीडिया पर अभियान

सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू हो गया है। हजारों लोग ट्विटर, फेसबुक, और इंस्टाग्राम पर योगी सरकार की निंदा कर रहे हैं और #योगीइस्तीफादो जैसे हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन पोस्टों में लोग उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में होने वाली घटनाओं का उल्लेख कर रहे हैं, जहां आम जनता को सुरक्षा का कोई भरोसा नहीं है।

इस अभियान में कई प्रमुख सोशल मीडिया प्रभावक, पत्रकार और आम नागरिक भी शामिल हो गए हैं। उनका दावा है कि राज्य सरकार केवल धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जबकि आम जनता की समस्याओं और उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। कई लोगों ने हाल ही में हुए बहराइच की घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा है कि सरकार अपराधियों को कड़ी सजा देने में नाकाम रही है, जिससे प्रदेश में अराजकता की स्थिति बनी हुई है।

कानून व्यवस्था पर सवाल

योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में कानून व्यवस्था को लेकर बढ़ते सवाल उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि वे राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं और कमजोर वर्गों की सुरक्षा में विफल रहे हैं। खासकर जातिगत और सांप्रदायिक हिंसा के मामलों में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिससे प्रदेश की न्यायिक प्रणाली और प्रशासन की निष्पक्षता पर संदेह पैदा हो रहा है।

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