कैराना में दलित समाज ने नितिन कुमार पर हमले और पुलिस की निष्क्रियता के विरोध में धरना दिया। उन्होंने पलायन की चेतावनी देते हुए पोस्टर लगाए, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया। पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
UP News: कैराना के मोहल्ला शिवपुरी खटिकान बस्ती में दलित समाज की महिलाएं और पुरुष सोमवार को धरने पर बैठे और पुलिस पर आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। यह मामला 31 अक्टूबर का है, जब नितिन कुमार नामक युवक पर हमला हुआ और उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया। पीड़ित नितिन के अनुसार, वह अपने मोहल्ले के पास एक डेंटल क्लीनिक के सामने बैठा था, तभी कुछ स्थानीय लोगों – फरमान, सुहैल, शाद और कफील ने अज्ञात साथियों के साथ मिलकर उस पर लाठी-डंडों से हमला किया और उसे घायल कर दिया। पीड़ित ने यह भी बताया कि बीच-बचाव करने आए डॉक्टर भानु प्रताप पर भी हमला किया गया था।
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दलित समाज में भारी आक्रोश है
पुलिस ने इस मामले में एससी-एसटी एक्ट और मारपीट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया, लेकिन पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस ने अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। इस मामले को लेकर दलित समाज में भारी आक्रोश है और उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो दर्जनों परिवार कैराना से पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे। धरना स्थल पर लगे पोस्टर में लिखा गया है, “कैराना में फिर से पलायन होगा, यह सभी मकान बिकाऊ हैं।” इस चेतावनी ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सकते में डाल दिया है, और इलाके में हलचल मच गई है.
भाजपा नेता हुकुम सिंह द्वारा उठाए गए सवाल और उसके बाद की स्थिति
कैराना में पलायन की यह घटना कोई नई नहीं है। 2016 में भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय सांसद हुकुम सिंह ने एक सूची जारी की थी, जिसमें 346 परिवारों के पलायन का दावा किया गया था। यह घटना उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी थी, जब बदमाशों द्वारा व्यापारियों से रंगदारी मांगे जाने पर उनकी हत्या की घटनाएं सामने आई थीं। इसके चलते कई परिवार अपनी सुरक्षा के डर से कैराना छोड़कर दूसरे शहरों में बस गए थे। भाजपा सरकार के आने के बाद कुछ परिवार वापस आए, जबकि कई अन्य परिवार अन्य शहरों में ही बस गए। अब दलित समाज के द्वारा फिर से पलायन की चेतावनी देने से यह मुद्दा एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है और स्थानीय प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
पीड़ित पक्ष का आरोप: पुलिस की निष्क्रियता और न्याय की मांग
धरने पर बैठे नितिन कुमार और उनके परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपी पक्ष के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। नितिन का कहना है कि उन्होंने घटना के तुरंत बाद मामले की सूचना अधिकारियों को दी थी और पुलिस से कार्रवाई की उम्मीद की थी। लेकिन पुलिस द्वारा कार्रवाई न होने पर उन्होंने धरने पर बैठने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि यदि मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया तो मजबूरन उन्हें पलायन करना पड़ेगा। धरने में शामिल महिलाएं और पुरुषों ने पुलिस प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई।
पुलिस का जवाब: जांच के आश्वासन के बावजूद स्थिति तनावपूर्ण
धरने की खबर फैलते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आया और सीओ श्याम सिंह कैराना ने बयान दिया कि पीड़ित पक्ष की तहरीर के आधार पर सभी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। यदि किसी को गंभीर चोट है तो मामले में और धाराएं बढ़ाई जाएंगी और सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, पीड़ित पक्ष का कहना है कि पुलिस द्वारा अभी तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है, और यह केवल आश्वासन तक ही सीमित है। इस कारण दलित समाज में नाराजगी बनी हुई है और वे पलायन करने की चेतावनी पर अडिग हैं।
संरक्षित पशु कटान मामले में गिरफ्तारी: अकबरपुर में पुलिस का अभियान
कैराना में इसी दौरान एक अन्य घटना में संरक्षित पशुओं के कटान का मामला भी सामने आया है। 6 अक्टूबर को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर अकबरपुर सुनहटी के जंगल में अवैध पशु कटान का खुलासा किया था, जिसमें पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। सोमवार को पुलिस ने इस मामले में वांछित आरोपी साजिद उर्फ बटार को गिरफ्तार किया और उसका चालान कर दिया। इस गिरफ्तारी के बावजूद दलित समाज के धरने और पलायन की चेतावनी ने पुलिस प्रशासन के सामने नई चुनौती पेश कर दी है।
कैराना में बढ़ती असुरक्षा की भावना और प्रशासन के सामने चुनौती
कैराना में दलित समाज के इस धरने ने स्थानीय प्रशासन को असहज स्थिति में डाल दिया है। एक ओर दलित समाज पुलिस से उचित कार्रवाई की मांग कर रहा है और दूसरी ओर पलायन की चेतावनी से तनावपूर्ण माहौल बन गया है। पुलिस का कहना है कि मामले में जल्द से जल्द उचित कार्रवाई की जाएगी, ताकि समाज में शांति और सुरक्षा बनी रहे। वहीं, राजनीतिक हलकों में भी इस घटना को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि स्थानीय प्रशासन इस मामले को किस तरह संभालता है और क्या कार्रवाई करता है।
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