सपा नेता राजपाल कश्यप ने BJP सरकार पर आरोप लगाया है कि वो पिछड़ों और दलितों का उत्पीड़न कर रही है। लेकिन दलितों का उत्पीड़न तो सपा के शासनकाल में भी हो रहा था। जिससे ये सवाल उठता है कि क्या सपा के समय में भी इस मुद्दे की अनदेखी की गई थी?
UP News : बिजनौर में सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप ने भाजपा सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं, आरोप लगाते हुए कि सरकार पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और दलित समुदायों के प्रति भेदभावपूर्ण और उत्पीड़क नीतियां अपना रही है। कश्यप ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी का प्रतिनिधिमंडल थाना कोतवाली देहात के ग्राम मानपुर पहुंचा, जहां हाल ही में मनोज कश्यप की संदिग्ध परिस्थितियों में डूबकर मौत हो गई। मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि मनोज की हत्या की गई है, लेकिन स्थानीय पुलिस इस गंभीर मामले में कोई ठोस कार्रवाई करने से इंकार कर रही है।
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BJP के कारण कमजोर वर्गों को न्याय नहीं मिल पा रहा
कश्यप ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि भाजपा सरकार की लापरवाही और संवेदनहीनता के कारण समाज के कमजोर वर्गों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर इस मामले को दबाने की कोशिश की है और स्थानीय पुलिस भी इस मामले में निष्क्रिय रही है।
सपा ने वादा किया है कि वह मृतक के परिजनों को हर संभव सहायता प्रदान करेगी और उन्हें न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। कश्यप ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि सरकार की ओर से आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, और यह स्थिति आगामी चुनावों में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का एक प्रमुख कारण बनेगी।
दलितों को असुरक्षित महसूस कराया जाता है
इस बीच, नगीना विधायक मनोज पारस ने इलाके में बढ़ते गुलदार के आतंक की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति ने इलाके के निवासियों को असुरक्षित महसूस कराया है और सरकार की निष्क्रियता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
कई प्रमुख नेता भी मौजूद थे
इस अवसर पर सपा के जिलाध्यक्ष शेख जाकिर हुसैन, पूर्व प्रत्याशी मनोज कुमार जज, प्रभा चौधरी, बीके कश्यप, सतपाल सिंह, गजेद्र देवल, दारा सिंह, और डॉ. रहमानी अखलाक पप्पू जैसे कई प्रमुख नेता भी मौजूद थे, जिन्होंने सरकार की नीतियों और स्थानीय समस्याओं को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। इस बैठक ने भाजपा सरकार की नीतियों और उनके कार्यकाल की गहरी समीक्षा की, यह दर्शाते हुए कि सपा आगामी चुनावों के लिए गंभीर रणनीति बना रही है और जनता के मुद्दों को उठाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
दलितों का उत्पीड़न सदियों से चला आ रहा है
दलितों के खिलाफ उत्पीड़न का मुद्दा सिर्फ वर्तमान भाजपा सरकार का नहीं, बल्कि सपा सरकार के दौरान भी महत्वपूर्ण रहा है। यह मुद्दा राज्य में लंबे समय से जारी है और किसी भी सरकार के कार्यकाल में इसका समाधान नहीं हो पाया। जो समाजवादी पार्टी आज बीजेपी पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगा रही है . क्या उसने अपने शासनकाल को देखा हैं .
दलित उत्पीड़न का मुद्दा सपा के शासनकाल में भी था
दरअसल, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) का शासनकाल 2012 से 2017 तक था, और इस दौरान भी दलितों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं सामने आईं। सपा सरकार ने कई सामाजिक और विकासात्मक योजनाएं लागू कीं, लेकिन इसके बावजूद दलितों और पिछड़ों के खिलाफ अपराध और कानून व्यवस्था की समस्याएं बरकरार रहीं। कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करने में विफलता और प्रशासनिक लापरवाही की आलोचना हुई। सपा सरकार के तहत दलितों के खिलाफ अपराधों की उचित जांच और कार्रवाई की कमी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा रही। यह स्थिति दर्शाती है कि दलित उत्पीड़न का मुद्दा केवल वर्तमान भाजपा सरकार का नहीं, बल्कि सपा के शासनकाल में भी एक गंभीर समस्या थी, जो राज्य में लंबे समय से जारी रही है।
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