Andhra Pradesh: दलित महिला को खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा, दलित संगठनों ने की सख्त कार्रवाई की मांग

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एक समूह ने दलित महिला के घर पर हमला किया। इस समूह ने पहले महिला को घर से बाहर निकाला और फिर उसे गांव के एक बिजली के खंभे से बांध दिया इसके बाद उसकी बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी। इस घटना की दलित संगठनों ने कड़ी निंदा की और हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

Andhra Pradesh: गुरुवार रात, आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के कल्लुकुंटा गांव में एक निंदनीय घटना घटी। एक विवादित मामले में, लड़की के परिवार के सदस्यों के नेतृत्व में एक समूह ने गोविंदम्मा नामक दलित महिला के घर पर हमला किया। इस समूह ने पहले गोविंदम्मा को घर से बाहर निकाला और फिर उसे गांव के एक बिजली के खंभे से बांध दिया इसके बाद, पंचायत के आदेश का उल्लंघन करने के आरोप में गोविंदम्मा की बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी।

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ये था मामला

यह विवाद गोविंदम्मा के बेटे ईरन्ना के एक दूसरी जाति की लड़की, नागा लक्ष्मी, के साथ भाग जाने से शुरू हुआ था। दोनों ने अपने परिवारों की शादी की अनुमति के बिना एक साथ भागने का फैसला किया था। इस घटना के बाद, लड़की के परिवार ने पंचायत बुलाई, जिसने लड़के के परिवार को गांव छोड़ने का आदेश दिया था। हालांकि, गोविंदम्मा गांव में ही बनी रही, जिसके कारण दोनों परिवारों के बीच तनाव बढ़ गया।

दलित समुदाय ने पुलिस को सूचित किया

गुरुवार रात को, लड़की के परिवार के सदस्य और उनके समर्थक गोविंदम्मा के घर पर पहुंचे। उन्होंने उसे पकड़कर बिजली के खंभे से बांध दिया और पंचायत के आदेश के उल्लंघन के आरोप में उसकी पिटाई शुरू कर दी। घटना की जानकारी मिलने पर दलित समुदाय ने पुलिस को सूचित किया। पेद्दाकाडुबुर पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और गोविंदम्मा को सुरक्षित किया।

दलित संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की

शुक्रवार को गोविंदम्मा की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे व्यापक रूप से आक्रोश फैल गया। दलित संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की और हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और मामले की गहन जांच जारी है। यह घटना जातिगत हिंसा और सामाजिक असमानता की गंभीर समस्या को उजागर करती है, और समाज और प्रशासन की संवेदनशीलता और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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आए दिन दलितों के ऐसे मामले सामने आ रहें हैं

यह घटना सचमुच जातिगत हिंसा और सामाजिक असमानता की गंभीर समस्याओं को उजागर करती है। समाज और प्रशासन की संवेदनशीलता और कड़ी कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित करती है। सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्यों दलितों पर ही अत्याचार हो रहा है, जबकि वे भी इंसान हैं और समाज का हिस्सा हैं।

यह एक चिंताजनक स्थिति है कि देश के विभिन्न हिस्सों से लगातार दलितों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं। ये घटनाएं न केवल सामाजिक न्याय की कमी को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी संकेत देती हैं कि कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।

सरकार क्यों नहीं कुछ करती

सभी राज्यों और केंद्र सरकार को चाहिए कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और दलितों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं। इसके लिए प्रभावी कानूनी ढांचे, संवेदनशीलता और तत्काल कार्रवाई की जरूरत है ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और प्रभावित समुदायों को न्याय मिल सके।

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