“डराने-धमकाने की राजनीति कर रही है आप,” केजरीवाल पर गुंडों के दम पर वोट हासिल करने का आरोप

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नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल पर गुंडों के सहारे वोट हासिल करने का आरोप लगा है। स्थानीय निवासियों ने दावा किया कि एमपी फ्लैट्स में उनकी सभा के दौरान विरोध करने वालों को धमकाया गया और धक्का-मुक्की की गई। लोगों ने इसे “डराने-धमकाने की राजनीति” करार दिया। आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को विपक्ष की साजिश बताया है।

नई दिल्ली विधानसभा से चौथी बार चुनाव लड़ने जा रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन्हें गुंडों के सहारे वोट हासिल करने का प्रयास करने के लिए निशाना बनाया गया है। यह आरोप उस समय लगाया गया, जब केजरीवाल और उनके साथ राज्यसभा सांसद संदीप पाठक एक चुनावी सभा के लिए एमपी फ्लैट्स पहुंचे थे। घटना ने स्थानीय लोगों के बीच विवाद उत्पन्न कर दिया, जिनका कहना था कि उन्होंने इस सभा के दौरान अपने विरोधियों को दबाने की कोशिश की और गुंडों का सहारा लिया। आरोपों के मुताबिक, स्थानीय लोगों के साथ धक्का-मुक्की भी हुई, जिससे इलाके में तनाव फैल गया।

गुंडों का सहारा: क्या सच में यह आरोप सही हैं?

आरोप यह है कि केजरीवाल ने अपनी सभा में शामिल होने के लिए कुछ स्थानीय गुंडों को बुलाया था, ताकि वह सभा को एक खास दिशा में मोड़ सकें और विरोधियों को डराकर उन्हें अपनी पार्टी का समर्थन करने के लिए मजबूर कर सकें। कुछ सूत्रों ने यह भी दावा किया कि जिस समय केजरीवाल सभा में पहुंचे थे, उनके साथ कुछ संदिग्ध लोग भी थे, जिनकी गतिविधियां स्थानीय लोगों के लिए संदेहजनक थीं। कुछ ने यह भी कहा कि इस धक्का-मुक्की के बाद कई लोग डर के कारण चुप हो गए, और इसे चुनावी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

न्यूज एजेंसी IANS के साथ लोगों ने साझा किया अनुभव

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ बातचीत में कई स्थानीय लोगों ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। एक निवासी ने कहा, “जब केजरीवाल और उनकी टीम एमपी फ्लैट्स पहुंची, तो उनके साथ कुछ बाहरी लोग भी थे, जो धमकी भरे अंदाज में पेश आ रहे थे। जैसे ही हमने उनसे सवाल पूछने की कोशिश की, उन्होंने हमें चुप कराने की कोशिश की। हमें डराया-धमकाया गया और हमारे साथ धक्का-मुक्की भी की गई।”

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एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटनाएं हुई हैं। केजरीवाल अपनी सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए गुंडों का सहारा ले रहे हैं। ऐसा लगता है कि लोकतंत्र अब डराने-धमकाने का माध्यम बन गया है।”

कुछ लोगों ने दावा किया कि सभा में केवल उन्हीं को बोलने दिया गया, जो आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहे थे। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “हमने केजरीवाल से इलाके की समस्याओं को लेकर सवाल पूछने की कोशिश की, लेकिन हमें नजरअंदाज कर दिया गया। यह पूरी सभा केवल दिखावा थी, ताकि मीडिया में इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में दिखाया जा सके।”

स्थानीय लोगों का विरोध और आरोपों की गहराई

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के घटनाक्रम से यह साफ पता चलता है कि केजरीवाल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनका आरोप है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने चुनावी लाभ के लिए गुप्त रूप से गुंडों का सहारा लिया, ताकि उनका प्रचार सफल हो सके। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “केजरीवाल ने कभी नहीं सोचा कि इस तरह की हरकतों से इलाके में अराजकता फैल सकती है। अगर हम इस तरह के मुद्दों का विरोध करते हैं, तो हमें उनके गुंडों का सामना करना पड़ता है।”

आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया: केजरीवाल के खिलाफ झूठे आरोप

आम आदमी पार्टी ने इस आरोप को सिरे से नकारा किया है और कहा है कि यह सब विपक्षी दलों की साजिश है, जो केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता से डर गए हैं। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “यह आरोप पूरी तरह से झूठे हैं और इसका मकसद मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करना है। आम आदमी पार्टी ने हमेशा अपने संघर्ष को लोकतांत्रिक तरीकों से लड़ा है, और हम किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों को स्वीकार नहीं करते।”

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क्या यह आरोप केजरीवाल के चुनावी रणनीति को प्रभावित करेंगे?

हालांकि, केजरीवाल और उनकी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज किया है, लेकिन इस घटना ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष इस मामले को और बढ़ाकर केजरीवाल को चुनावी मैदान में नुकसान पहुंचाता है, या क्या यह आरोप उनके समर्थकों को और भी मजबूती से एकजुट कर देंगे। चुनावी माहौल में इस प्रकार के आरोप कभी भी गंभीर रूप ले सकते हैं, और यह तय करना मुश्किल है कि यह घटना चुनावी परिणामों को किस दिशा में मोड़ेगी।

समाप्ति: दिल्ली के चुनावी समर में एक नया मोर्चा

केजरीवाल के खिलाफ आरोपों के बावजूद, उनकी पार्टी ने दिल्ली में एक मजबूत स्थिति बना रखी है। यह आरोप इस बात को भी दर्शाते हैं कि चुनावी राजनीति में न केवल नीतियाँ, बल्कि चुनावी प्रचार भी कितने संवेदनशील हो सकते हैं। अब तक केजरीवाल की राजनीति में जनता के बीच उनकी छवि को नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन इस प्रकार के आरोप उनकी चुनावी यात्रा में एक बड़ा मोड़ ला सकते हैं।

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