भाजपा में दलित नेताओं की अनदेखी: BJP के दलित नेता ने पार्टी विधायक पर लगाए गंभीर आरोप, जान को खतरा बताया

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भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के पीलीभीत जिला अध्यक्ष  ने अपनी ही पार्टी के विधायक पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया। उन्होंने आरसेटी सेंटर के निर्माण में हस्तक्षेप और दबाव डालने का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना दिया और सुरक्षा की मांग की। विधायक ने आरोपों को बेबुनियाद बताया, जबकि प्रशासन ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। इस घटना ने भाजपा में दलित नेताओं की स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं।

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष और कल्याणपुर नौगवा गांव के प्रधान के पति शांति स्वरूप सोनकर ने अपनी ही पार्टी के बरखेड़ा क्षेत्र के विधायक स्वामी प्रवक्तानंद (जयद्रथ) पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपनी जान को खतरा बताया है। उन्होंने मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और प्रशासन से सुरक्षा की मांग की। सोनकर का कहना है कि विधायक अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए आरसेटी सेंटर (ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान) के निर्माण कार्य में हस्तक्षेप कर रहे हैं और उनके विरोध के कारण उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। दलित नेता ने यह भी आरोप लगाया कि विधायक का ससुराल इसी गांव में है और वह सेंटर की आड़ में अपने स्वार्थी हित साधने में जुटे हुए हैं।

दलितों की आवाज दबाने की कोशिश?

शांति स्वरूप सोनकर ने जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर अपनी शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद जिलाधिकारी ने मामले की जांच का आश्वासन दिया और इसे उप जिलाधिकारी (सदर) को सौंप दिया। सोनकर का कहना है कि भाजपा में दलित नेताओं की आवाज को दबाने की कोशिशें हो रही हैं, और यह मामला उसी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि विधायक का व्यवहार न केवल दलित विरोधी है, बल्कि यह उनके समुदाय को विकास कार्यों से वंचित रखने की कोशिश है।

विधायक ने आरोपों को खारिज किया

इस बीच, विधायक स्वामी प्रवक्तानंद ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और सोनकर पर सस्ती लोकप्रियता पाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि सोनकर किसी के इशारे पर काम कर रहे हैं और उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रवक्तानंद ने कहा कि आरसेटी सेंटर का निर्माण उनके प्रयासों से हो रहा है, जो गांव के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका सोनकर से कोई संपर्क नहीं हुआ है और यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं।

दलितों के साथ हो रहा अन्याय?

शांति स्वरूप सोनकर का आरोप है कि भाजपा में दलित नेताओं को केवल शोपीस बनाकर रखा जाता है, जबकि उनके अधिकारों और सुरक्षा की कोई परवाह नहीं की जाती। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन मामले की निष्पक्ष जांच करे और उन्हें सुरक्षा प्रदान करे। सोनकर ने कहा कि अगर उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वह उच्च स्तर पर आंदोलन करेंगे।

प्रशासन ने दिया जांच का भरोसा

जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि ग्राम कल्याणपुर नौगवां में 2.5 करोड़ की लागत से आरसेटी सेंटर का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि विस्थापित ग्रामीणों का पुनर्वास जल्द कराया जाएगा और निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि मामले की जांच पूरी ईमानदारी से की जाएगी।

भाजपा में दलित नेताओं की भूमिका पर सवाल

यह मामला भाजपा के अंदर दलित नेताओं की स्थिति और उनकी आवाज को दबाने के आरोपों को उजागर करता है। क्या भाजपा में दलित नेताओं को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है? यह सवाल अब और अधिक गंभीर हो गया है। दलित समुदाय के लिए यह घटना उनकी सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई को और मजबूत करने का संकेत है। भाजपा को इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाने की जरूरत है, ताकि यह संदेश जाए कि पार्टी दलितों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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