BHU गैंगरेप मामला: छात्रों का आक्रोश, धरने के बाद 14 छात्रों पर निलंबन की कार्रवाई

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आईआईटी बीएचयू की एक छात्रा के साथ कथित तौर पर गैंगरेप हुआ था, जिसके बाद छात्रों ने पूरे विश्वविद्यालय परिसर में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनों के कुछ महीने बाद, बीएचयू प्रशासन ने छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 14 छात्रों को निलंबित कर दिया।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रतिष्ठित परिसर में पिछले साल घटी एक भयावह घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। आईआईटी बीएचयू की एक छात्रा के साथ कथित तौर पर गैंगरेप हुआ था, जिसके बाद छात्रों ने पूरे विश्वविद्यालय परिसर में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस घटना ने न केवल छात्रों के बीच आक्रोश को जन्म दिया, बल्कि समाज में व्याप्त लैंगिक और जातिवादी पूर्वाग्रहों को भी उजागर किया। छात्र-छात्राएं, जिनमें से कई अलग-अलग छात्र संगठनों से जुड़े थे, न्याय की मांग को लेकर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गए। वे लगातार यह मांग कर रहे थे कि प्रशासन अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार करे और उन्हें सजा दिलाने के लिए हरसंभव कदम उठाए।

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छात्रों ने धरना प्रदर्शन किया

इस घटना के खिलाफ छात्रों ने मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी और न्याय की मांग की। लेकिन इसके जवाब में विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन छात्रों को निलंबित कर दिया और उन्हें हॉस्टल और लाइब्रेरी की सुविधाओं से भी वंचित कर दिया। यह कदम छात्रों द्वारा वाजिब मांगें उठाने के बावजूद उनके खिलाफ दमनकारी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है, जिसे कई लोग अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दे रहे हैं। इस घटना ने विश्वविद्यालय की छवि और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

छात्रों का प्रशासन और पुलिस के साथ कई बार टकराव

इन प्रदर्शनों के पीछे छात्रों की प्रमुख चिंता यह थी कि आरोपी कई महीनों तक फरार रहे और विश्वविद्यालय प्रशासन या स्थानीय पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस दौरान परिसर में तनाव का माहौल बना रहा, क्योंकि छात्रों का दावा था कि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और वे बेखौफ खुलेआम घूम रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान, छात्रों का प्रशासन और पुलिस के साथ कई बार टकराव भी हुआ। इस मामले में राजनीतिक पार्टियों ने भी हस्तक्षेप किया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने खुलेआम भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मामले को कमजोर करने का प्रयास कर रही है और पीड़िता को न्याय दिलाने में विफल हो रही है।

14 छात्रों को निलंबित कर दिया

प्रदर्शनों के कुछ महीने बाद, बीएचयू प्रशासन ने छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 14 छात्रों को निलंबित कर दिया। निलंबित किए गए छात्रों में विभिन्न छात्र संगठनों के सदस्य शामिल थे, जिनमें भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम), अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), दिशा छात्र संगठन और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) शामिल थे। प्रशासन का कहना था कि इन छात्रों ने धरने के दौरान अनुशासनहीनता की थी और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल को बिगाड़ने का काम किया था। इसके अलावा, छात्रों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने बीएचयू के मुख्य द्वार पर धरना देकर सुरक्षा में सेंध लगाई और शिक्षकों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया।

छात्रों को हॉस्टल और लाइब्रेरी से वंचित कर दिया

इस निलंबन के बाद विश्वविद्यालय ने छात्रों को हॉस्टल और लाइब्रेरी जैसी सुविधाओं से भी वंचित कर दिया। इसके अतिरिक्त, निलंबन की अवधि समाप्त होने के बाद छात्रों को सामुदायिक सेवा और परामर्श सत्रों में भाग लेना भी अनिवार्य कर दिया गया। यह निर्णय विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक समिति द्वारा किया गया था, जिसने अपने आदेश में कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई अनुशासनहीनता और छात्रों के बीच हुई झड़पों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

विश्वविद्यालय प्रशासन की विफलता करार

छात्र संगठनों ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की और इसे विश्वविद्यालय प्रशासन की विफलता करार दिया। बीएसएम की आकांक्षा आजाद ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से पक्षपाती है और सिर्फ उनके संगठन और आइसा तथा एनएसयूआई के सदस्यों को निशाना बनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन द्वारा सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया, जबकि वास्तविक अपराधी झड़प के दौरान बाहरी गुंडे थे, जिनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। आकांक्षा और अन्य छात्र नेताओं का यह भी दावा था कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वे प्रशासन के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे।

महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े

इस घटना ने बीएचयू की छवि को धूमिल किया और देशभर में महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इस तरह की घटना होने से स्थिति और भी संवेदनशील हो गई थी। छात्रों का कहना था कि वे शांतिपूर्ण तरीके से यौन उत्पीड़न और विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ विरोध कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने उनके शांतिपूर्ण धरने को उकसावे की कार्रवाई बताकर गलत ढंग से पेश किया।

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छात्र चुप नहीं बैठेंगे

छात्रों का यह भी आरोप था कि निलंबन का निर्णय लेने से पहले प्रशासन ने उन्हें कोई स्पष्टीकरण देने का मौका नहीं दिया और बिना सुनवाई के उन्हें दोषी ठहरा दिया गया। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने यह भी दावा किया कि छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण बीएचयू की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने वाला असल कारण कैंपस में यौन उत्पीड़न की घटनाएं और उनके खिलाफ प्रशासन की निष्क्रियता थी।

घटना के एक साल बाद भी बीएचयू में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। छात्रों का कहना है कि वे तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक कि उन्हें न्याय नहीं मिल जाता। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि वह परिसर में शांति और अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगा।

 

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