Haryana Election: मायावती की रैलियों की डिमांड! चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता; क्या दलित वोट बैंक का होगा बंटवारा?

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हरियाणा में मायावती की रैलियों की डिमांड बढ़ने और चंद्रशेखर द्वारा चुनौती पेश किए जाने से यह संकेत मिलता है कि दलित वोट बैंक में बंटवारा होने की संभावना है। मायावती की पार्टी दलित वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है, जबकि चंद्रशेखर आजाद जैसे नए नेताओं का उभरना इस वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।

Haryana Election: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में मायावती की चुनावी सभाओं की तैयारी इस बात का संकेत है कि BSP अन्य क्षेत्रों में भी अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा, यह स्थिति आगामी चुनावों में दलित वोट बैंक की भूमिका को महत्वपूर्ण बना सकती है।

मायावती की रैलियों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है

हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की रैलियों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। राज्य में दलित वोट बैंक को साधने के लिए बसपा की सक्रियता बढ़ती जा रही है। बसपा ने हरियाणा के प्रमुख जिलों में मायावती की रैलियों का कार्यक्रम तय करना शुरू कर दिया है, जिनमें अंबाला, पलवल, सिरसा और जींद शामिल हैं।

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दलित समुदाय का वोट किसी पार्टी के लिए निर्णायक है

मायावती की इन रैलियों का मुख्य उद्देश्य BSP के पारंपरिक दलित वोट बैंक को बनाए रखना और अन्य पार्टियों से चुनौतियों का सामना करना है, जैसे कि चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता। ये रैलियां बसपा के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं, क्योंकि राज्य में दलित समुदाय का वोट किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक हो सकता है।

BSP का फोकस विशेष रूप दलित वोट पर

BSP का फोकस विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर है जहां दलित मतदाता की संख्या अधिक है। अंबाला, पलवल, सिरसा और जींद जैसे जिलों में मायावती की उपस्थिति पार्टी के पक्ष में एक सकारात्मक माहौल तैयार करने की कोशिश कर रही है।

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चन्द्रशेखर की लोकप्रियता मायावती पर पड़ी भारी

मायावती की रैलियों की तारीख जल्द घोषित की जाएगी, और वे जम्मू-कश्मीर में भी चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगी। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की ओर से बसपा को कड़ी चुनौती मिल रही है, जिससे दलित वोट बैंक में बंटवारे की संभावना बन रही है। यह चुनौती बसपा के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है, क्योंकि यह दलित समुदाय के वोटों पर उसके प्रभाव को ।

चंद्रशेखर आजाद के गठबंधन से कड़ी चुनौती

हरियाणा में बसपा-इनेलो गठबंधन को आजाद समाज पार्टी और जननायक जनता पार्टी के गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है। वोटरों को लुभाने के लिए बसपा ने बेरोजगारी भत्ता, महिलाओं को रसोई खर्च, और हर महीने मुफ्त सिलेंडर जैसी योजनाएं पेश की हैं। वहीं, आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद और बसपा के पूर्व एमएलसी सुनील चित्तौड़, जो अब आजाद समाज पार्टी से जुड़े हैं, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा नेताओं को अपने साथ जोड़ने में सक्रिय हैं।

बता दें, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए अब 5 अक्टूबर को मतदान होगा और मतगणना 8 अक्टूबर को की जाएगी। पहले यह चुनाव 1 अक्टूबर को होना था, लेकिन चुनाव की तारीख में बदलाव कर दिया गया है.

 

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