दलित वर्ग के खिलाफ हो रही घटनाओं के विरोध में मध्यप्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग ने आज प्रदेश भर में प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया। जानकारी के मुताबिक, इस विरोध प्रदर्शन में पूरे प्रदेश से दो हजार से अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए थे।
MP News : मध्य प्रदेश में 27 अगस्त 2024 को होने वाला ‘मुख्यमंत्री आवास घेराव’ कार्यक्रम प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ हो रहे अन्याय और अत्याचार के विरोध में प्रदेश कांग्रेस ने ‘मुख्यमंत्री आवास घेराव’ कार्यक्रम की योजना बनाई । कांग्रेस, जो पहले नर्सिंग कॉलेज घोटाले जैसे मुद्दों को लेकर सक्रिय थी, अब दलित और आदिवासी समाज पर हो रहे अन्याय, भेदभाव और शोषण के मुद्दे को प्रमुखता दे रही है। इस प्रदर्शन में पार्टी के दलित-आदिवासी विभाग के प्रदेश पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी शामिल होंगे। बता दें, कार्यक्रम का आयोजन मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस के तत्वाधान में किया जा रहा है।
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पुलिस ने वाटर कैनन से प्रदर्शनकारियों को हटाया
भोपाल में कांग्रेस कार्यकर्ता सीएम हाउस का घेराव करने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने अरेरा हिल्स पुलिस थाने के सामने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वापस लौटने की हिदायत दी, लेकिन वे अपनी बात पर अड़े रहे। इसके बाद पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल करके प्रदर्शनकारियों को हटा दिया। बता दे, मध्य प्रदेश में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों यानी दलित उत्पीड़न को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़े विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है। कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा सरकार दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है और उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रही है। यह घेराव राज्य सरकार की नीतियों और उनकी निष्क्रियता के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश है।
दलित उत्पीड़न है कारण :
कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्षप्रदीप अहिरवार का कहना है कि कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग द्वारा मंगलवार को भोपाल में आयोजित प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री आवास का घेराव करना है। इस प्रदर्शन के माध्यम से कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार से संविधान द्वारा दलितों और आदिवासियों को दिए गए अधिकारों की रक्षा की मांग करेंगे। अहिरवार ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस मांग को अनसुना किया, तो आंदोलन और भी व्यापक हो सकता है।
भाजपा कार्यकर्ता द्वारा आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब
हाल ही में , मध्य प्रदेश में एक कथित भाजपा कार्यकर्ता द्वारा आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने की घटना के संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस घटना ने भाजपा का “घृणित चेहरा” और आदिवासियों व दलितों के प्रति उसकी “घृणा” को उजागर कर दिया है। राहुल गांधी ने इस प्रकरण को भाजपा की असलियत के उदाहरण के रूप में पेश किया। लेकिन जो कांग्रेस आज भाजपा शासन में दलित उत्पीड़न का बीजेपी पर आरोप लगा रही हैं वो खुद कोई दूध की धुली हुई नहीं हैं . याद है राजस्थान में जब कांग्रेस सरकार थी तब जालोर से एक गंभीर घटना की खबर आई थी कि एक दलित बच्चें ने उच्च जाति के शिक्षक के घड़े से पानी पी लिया था .
कांग्रेस भी दूध की धुली नहीं है
ये बात अगस्त 2022 की है जब राजस्थान के 9 वर्षीय दलित छात्र इंद्र मेघवाल की मौत के मामले में आरोप है कि उसने सवर्ण जाति के शिक्षक के घड़े से पानी पी लिया था। गुस्साए शिक्षक ने छात्र को इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी कुछ दिन बाद अहमदाबाद के अस्पताल में मौत हो गई। यह घटना 20 जुलाई को सायला थाना क्षेत्र के सुराणा गांव के प्राइवेट स्कूल में घटी थी। आरोपी शिक्षक छैल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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क्यों सभी राज्यों में दलितों का उत्पीड़न
आए दिन दलितों पर अत्याचार की खबरें आती रहती हैं चाहे वो भाजपा शासन हो या फिर कांग्रेस शासन । और अब ये घटनाएं बच्चों तक पहुंच गई हैं। राजस्थान के जालोर, मध्य प्रदेश के सिंगरौली, उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती, और बिहार में दलित बच्चों पर हुए अत्याचार ने स्थिति को और भयावह बना दिया है। 21वीं सदी में भी दलितों के हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
21वीं सदी में भी जातीय अत्याचार और भेदभाव की घटनाएं
भारत को स्वतंत्र हुए 76 साल हो चुके हैं, और हमारा संविधान जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर भेदभाव को नकारता है और सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। फिर भी, 21वीं सदी में जातीय अत्याचार और भेदभाव की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि संविधान में लिखी बातें अभी भी कागजी प्रतीत होती हैं। देश भले ही आर्थिक रूप से विकसित हो जाए, लेकिन समाज के रूप में समानता और न्याय की दिशा में अभी लंबा सफर तय करना है। यह स्थिति सामाजिक सुधार की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है और एक समृद्ध और समान समाज के निर्माण में अभी बहुत काम बाकी है।
दलित राजनीतिक पार्टियों को चुनावों में याद आते
कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दलित समुदाय पर जब ध्यान देती हैं जब उन्हें चुनाव याद आते हैं । कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलित वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए हैं। दोनों पार्टियों को उम्मीद है कि अगर वे दलित वोटरों का समर्थन प्राप्त कर सकें, तो विधानसभा चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित हो सकती है। इस दृष्टिकोण से, दोनों ही पार्टियां दलित समुदाय को लुभाने के लिए विभिन्न रणनीतियों और कार्यक्रमों को लागू कर रही हैं।
कांग्रेस और बीजेपी की दलित वोट पर नजर
लोकसभा चुनाव में जाटव समुदाय का वोट बैंक बसपा से दूर हो गया था, लेकिन अब सपा और कांग्रेस गैर-जाटव दलितों को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर दलित और पिछड़े वोटर उनके साथ आते हैं, तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति मजबूत हो सकती है। इसीलिए, वे दलित और पिछड़े वर्ग के वोटरों को सहेजने में अपना भविष्य देख रहे हैं। राजनीतिक दलों की राजनीतिक गतिविधि है, जो विभिन्न दल दलित और पिछड़े वर्ग के वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
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