दलित IAS बने रविन्द्र मेघवाल, बिना कोचिंग के पहले प्रयास में रहे सफल, जानें रविन्द्र की कहानी

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यह कहानी उस व्यक्ति की है जिसने अपने शुरुआती शिक्षा के बाद UPSC की तैयारी की और सफलता प्राप्त की। रविन्द्र कुमार मेघवाल बिना किसी कोचिंग के, कड़ी मेहनत और समर्पण से 138वीं रैंक प्राप्त की है। यह उनके आत्मविश्वास, अनुशासन और संकल्प का प्रतीक है। तो आइए जानते है  IAS रविन्द्र कुमार की कहानी…

IAS Story : अगर किसी के पास लक्ष्य है और वो उसके लिए कड़ी मेहनत करता है, तो वो इंसान किसी भी चुनौती को पार कर सकता है। इसका जीता जगता सबूत है. सिरोही जिले के मंडार निवासी 23 वर्षीय रविन्द्र कुमार मेघवाल जिन्होंने यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में पहले ही प्रयास में बिना कोचिंग के 138 वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार, क्षेत्र व जिले का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल प्रेरणादायक है बल्कि यह भी दर्शाती है कि कड़ी मेहनत और लगन से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

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रविन्द्र मेघवाल प्रथम प्रयास में रहे सफल

यह कहानी उस व्यक्ति की है जिसने अपने शुरुआती शिक्षा के बाद UPSC की तैयारी की और सफलता प्राप्त की। दलित जाति के रविन्द्र कुमार मेघवाल बिना किसी कोचिंग के, कड़ी मेहनत और समर्पण से 138वीं रैंक प्राप्त की है। यह उनके आत्मविश्वास, अनुशासन और संकल्प का प्रतीक है। उनके पिता जीवाराम, जो सेकंड ग्रेड टीचर हैं, और मां शारदा देवी, जो गृहिणी हैं, उनके परिवार का भी इसमें बड़ा योगदान है। रविंद्र की इस कहानी से यह साबित होता है कि समर्पण और सही दिशा में की गई मेहनत से बड़ी से बड़ी सफलता पाई जा सकती है।

बिना कोचिंग के पाया 138वीं रैंक

रविन्द्र कुमार मेघवाल ने 5वीं तक की पढ़ाई आदर्श विद्या मंदिर मंडार से की और उसके बाद जवाहर नवोदय विद्यालय कालंद्री, सिरोही से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी, उदयपुर से बीएससी की . बता दे आपको , यूपीएससी की तैयारी उन्होंने घर से ही शुरू की, लेकिन प्रारंभिक परीक्षा से चार महीने पहले वह जयपुर चले गए ताकि और अच्छी तरह से तैयारी कर सकें। उन्होंने कॉलेज के दौरान ही UPSC की परीक्षा को अपने लक्ष्य के रूप में निर्धारित कर लिया था और उन्हें अपने दादा से काफी प्रेरणा मिली, जिसने उन्हें इस कठिन परीक्षा के लिए प्रेरित किया।

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रविन्द्र की सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी

रविन्द्र कुमार मेघवाल ने कहा मेरी इस सफलता के पीछे सिर्फ मेहनत और खुद पर भरोसे की ताकत है। जरुरी नहीं कि आप कोचिंग करेंगे तो ही सफलता प्राप्त करेंगे। मैंने अपने पहले ही प्रयास में बिना किसी कोचिंग के यह सफलता हासिल की है। मैंने हमेशा यही प्रयास किया कि खुद को कैसे बेहतर बना सकते हैं। मेरे पिता मुझे कहते थे कि चाहो तो कोचिंग ज्वॉइन कर लो, लेकिन मैंने उनसे हमेशा यही कहा कि मुझे अपने आप पर भरोसा है। मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह रही कि मेरे परिवार ने मेरा हमेशा साथ दिया। चाहे मेरे दादा अमरारामजी हों, पिता हों, मां हो या चाचा रमेश जी और ताऊ शंकरलाल जी। परिवार के इसे भरोसे ने मुझे प्रेरणा दी।

 

रविन्द्र बनें प्रेरणास्रोत

रविंद्र कुमार मेघवाल की यह कहानी उनकी कठोर तपस्या और लक्ष्य के प्रति समर्पण को दिखाती है। डेढ़ साल तक घर से दूर रहना, सभी सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों से दूरी बनाना, और पूरी तरह से अपनी तैयारी में डूबे रहना—यह उनके दृढ़ संकल्प और धैर्य का प्रतीक है। जयपुर में रहकर प्री परीक्षा की तैयारी और दिल्ली में मैंस परीक्षा के लिए समय बिताने के बावजूद, रविंद्र का ध्यान पूरी तरह अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहा। उनकी इस एकाग्रता और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। रविंद्र की इस यात्रा से यह सिखने को मिलता है कि सफलता के लिए त्याग, अनुशासन, और निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।

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