Loksabha Election 2024 news : लोकसभा चुनाव शुरू होने में केवल 13 दिन बाकी है। 13 दिन बाद पहले चरण के चुनाव होंगे। वहीं 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ जाएगे। सभी पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं। लेकिन कोई भी असल मुद्दों की बात सोच भी नहीं रहा है। इसलिए झारखंड के 35 लाख आदिवासियों ऐसे नेताओं को वोट देने से इंकार कर दिया है। और न केवल इंकार किया है बल्कि उनका कहना है कि वह पूरी जाति इस चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेगी।
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आरक्षण की मांग पूरी नहीं हुई :
झारखंड के धनबाद में रहने वाली घटवार घटवाल जनजाति ने यह फैसला किया है कि वो इस चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेगी। जिसका कारण यह है कि वह आजादी के बाद से ही अपनी जाति के लिए आरक्षण की मांग कर रहें हैं। उनका कहना है कि, “नेता आते हैं और चले जाते हैं लेकिन कोई भी हमारे मुद्दों पर ध्यान नहीं देता। हमें 7 दशकों से ज्यादा हो गए हैं अपनी जाति के लिए आरक्षण की मांग करते हुए लेकिन अभी तक हमारी मांगों को सुना नहीं गया है।“ घटवार घटवाल जनजाति के अनुसार आजादी से पहले उन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त था लेकिन देश की आजादी के बाद 1952 में उनसे यह दर्जा छीन लिया गया। हर चुनाव में नेता वोट मांग कर ले जाते हैं लेकिन हमारी मांग पर कोई ध्यान नहीं देता। इसलिए इस चुनाव में नेताओं को सबक सिखाना हैं और वोट का बहिष्कार करना हैं।
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35 लाख है जनसंख्या :
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटवार घटवाल आदिवासी जाति का आदिवासी दर्जा 1952 में छीन लिया गया था। जिसके बाद से यह जाति आरक्षण की मांग कर रही हैं लेकिन इन्हें आरक्षण नहीं दिया गया। जिससे पूरे समाज में आक्रोश हैं। वहीं हाल ही में झारखंड के दुमका के सरैयाहाट में घटवार घटवाल समाज की महा बैठक आयोजित की गयी थी जिसमें यह फैसला लिया गया कि 2024 के चुनावों में मतदान का बहिष्कार किया जाएगा। जिसके बाद धनबाद के लोगो ने भी वोट के बहिष्कार का निर्णय लिया है। बता दें कि झारखंड में घटवार जाति की आबादी पूरी 35 लाख हैं।
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बेगूसराय के तीन सौ परिवार भी नहीं देंगे वोट :
ज़ी बिहार-झारखंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेगूसराय लोकसभा के भी साढ़े तीन सौ परिवारों ने वोट के बहिष्कार का एलान किया है उनका कहना है कि सरकारें आती हैं और जाती हैं लेकिन हमारी स्थिति वैसी की वैसी ही रह जाती हैं। वोट मांगते वक्त नेता शक्ल दिखाते हैं लेकिन बात जब हमारी समस्याओं का निदान करने की आती है तो नेता गायब हो जाते हैं। बता दें कि यह साढे तीन सौ परिवार वो परिवार हैं जो गुप्ता लखमीनिया बांध पर विस्थापित किए गए थे। अपनी समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि, “साल 1992 में मटिहानी प्रखंड के बालहपुर गांव से कटाव से विस्थापित होकर सोनापुर से दरियापुर तक गुप्ता लखमीनिया बांध पर 2 किलोमीटर में बसा हुआ है। लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हो या पंचायत का चुनाव हर चुनाव में नेता वोट लेकर चले जाते हैं। लेकिन उनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं होती है। बांध पर रहने से इन्हें रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सुबह से लेकर रात तक भारी वाहनों के परिचालन से हमेशा जान पर खतरा बन बना रहता है।
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