झारखंड राज्य जो आदिवासी बहुल राज्य के तौर पर देखा जाता रहा है वहाँ से आदिवासियों के जबरन धर्मांतरण को लेकर खबर सामने आ रही है। दरअसल उच्च न्यायालय में आदिवासियों के धर्मांतरण को लेकर सुनवाई चल रही है। जहां उच्च न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
Jharkhand news : शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय ने एक याचिका के संबंध में राज्य और केंद्र सरकार दोनों से जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय ने पूछा कि राज्य में आदिवासियों के जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ राज्य और केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है। बता दें कि झारखंड उच्च न्यायालय एक याचिका के संबंध में यह सुनवाई कर रहा था जिसमें यह कहा गया है कि झारखंड राज्य में आदिवासियों का जबरन और कई तरीके के प्रलोभन देकर धर्मपरिवर्तन करवाया जा रहा है। झारखंड उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से 12 जून तक शपथ पत्र दाखिल करने निर्देश दिया है।
याचिका में क्या लिखा है :
झारखंड उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता सोमा उरांव ने झारखंड राज्य में आदिवासियों के दवरन धर्मांतरण लेकर जनहित याचिका दायर की थी। शुक्रवार को सोमा उरांव के अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा ने कोर्ट में कहा कि, “झारखंड में आदिवासियों का तेजी से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। तेजी से धर्मांतरण क्यों किया जा रहा है, इसके लिए सरकार को एक जांच कमेटी का गठन करना चाहिए।
आदिवासी संस्कृति को खत्म किया जा रहा है :
सुनवाई के दौरान प्रार्थी सोमा उरांव की ओर से आरोप लगाया गया कि चंगाई सभा के माध्यम से आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. धर्म परिवर्तन के माध्यम से आदिवासी संस्कृति को समाप्त करने की साजिश भी की जा रही है. इस मामले की जांच करने और सरकार को धर्मांतरण रोकने का निर्देश देने का आग्रह अदालत से किया गया। बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 12 जून को होनी निश्चित हुई है।
केंद्र और राज्य सरकार से पहले भी मांगा गया था जवाब :
बता दें कि जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ द्वारा इस मामले की सुनवाई की जा रही थी। प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य व केंद्र सरकार से 12 जून से पहले अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से दायर करने को कहा है। गौरतलब है कि इस मामले में अदालत ने पहले भी केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा था लेकिन किसी की भी तरफ से जवाब दाखिल नहीं किया गया था। बताते चलें कि धर्मांतरण से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार व सभी राज्य सरकारों से मामले के संबंध में जवाब मांगा है।
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