उत्तरप्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण बिल की नीति आते ही एक बार फिर से भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा चर्चाओं में है। योगी सरकार ने उत्तरप्रदेश में तेजी से बढ़ती आबादी पर रोक लगाने के लिए इसका ड्राफ्ट को तैयार कर उत्तर प्रदेश विधि आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया और लोगों से 19 जुलाई तक आपत्तियां मांगी हैं, 11 जुलाई को इसे राज्यसभा में भी पेश किया गया है।
इस ड्राफ्ट बिल में इस बात का प्रावधान है कि जिन माता-पिता को एक संतान हो, उसे सरकार की तरफ से कैसे सुविधाएं प्राप्त कराई जानी चाहिए और जिन्हें दो ज्यादा बच्चे हैं, उनसे कौन सी सुविधाएं छीन लेनी चाहिए।
इसी मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा की “यूपी भाजपा सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण हेतु लाया जा रहा नया बिल, इसके गुण-दोष से अधिक इस राष्ट्रीय चिन्ता के प्रति गंभीरता व इसकी टाइमिंग को लेकर सरकार की नीति व नीयत दोनों पर शक व सवाल खड़े कर रहा है, क्योंकि लोगों को इसमें गंभीरता कम व चुनावी स्वार्थ ज्यादा लग रहा है।”
मायावती ने आगे लिखा “अगर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर यूपी भाजपा सरकार थोड़ी भी गंभीर होती तो यह काम सरकार को तब ही शुरू कर देना चाहिये था जब इनकी सरकार बनी थी और फिर इस बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करती तो अब यहाँ विधानसभा चुनाव के समय तक इसके नतीजे भी मिल सकते थे।”
मायवती ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा “यूपी व देश की जनसंख्या को जागरूक, शिक्षित व रोजगार-युक्त बनाकर उसे देश की शक्ति व सम्मान में बदलने में विफलता के कारण भाजपा अब कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार की तरह ही जोर-जबरदस्ती व अधिकतर परिवारों को दण्डित करके जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहती है जो जनता की नजर में घोर अनुचित।”
ऐसा कहते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार की नियत पर सवाल उठाया है, और ये भी कहा की यदि उनकी बदलाव की इतनी ही आशा थी तो वह यह बदलाव तब भी कर सकते थे जब उनकी सरकार आई थी, साथ ही सुप्रीमो ने ये भी कहा की वह यह सब करके लोगो को दंडित कर नियंत्रित करना चाहते है, जो की उनकी नजर में घोर अनुचित है।
पॉपुलेशन कंट्रोल बिल, 2021 आने के बाद निम्नलिखित नियमों पर अमल किया जाएगा।
ऐसे परिवार के सदस्य को लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।
दो से ज्यादा बच्चे वाले परिवार को राज्यसभा, विधान परिषद् और इस तरह की संस्थाओं में निर्वाचित या मनोनित होने से रोका जाना चाहिए।
राजनीतिक दल या किसी पार्टी का पदाधिकारी नहीं बन सकते।
प्रदेश सरकार की ए से डी कैटगरी की नौकरी में अप्लाई नहीं कर सकते।
इसी तरह, केंद्र सरकार की कैटगरी ए से डी तक में नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकते।
निजी नौकरियों में भी ए से डी तक की कैटगरी में आवेदन नहीं कर सकते।
परिवार को मुफ्त भोजन, मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी जैसी सब्सिडी नहीं मिलनी मिलेगी।
बैंक या किसी भी अन्य वित्तीय संस्थाओं से लोन नहीं प्राप्त कर सकते।
इनसेंटिव, स्टाइपेंड या कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा।
कोई संस्था, यूनियन या कॉपरेटिव सोसायटी नहीं बना सकते।
ऐसे लोग न तो किसी पेशे के हकदार होंगे और न ही किसी कामकाज के।
वोट का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार और संगठन बनाने का अधिकार नहीं मिलेगा।
इसी के साथ जनसंख्या नियंत्रण बिल, 2021 के मुताबिक, हर प्रदेश सरकार अपने हिसाब से स्कूलों में जनसंख्या विस्फोट के खतरनाक प्रभाव और जनसंख्या नियंत्रण के फायदों के बारे में बताने के लिए जरूरी विषय पढ़ाने का प्रावधान करेंगे, हर महीने इन स्कूलों में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े लेख प्रतियोगिता और वाद-विवाद आयोजित करने होंगे। बिल में कहा गया है कि जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार नेशनल पॉपुलेशन स्टेबलाइजेशन फंड बनाएगी, इस फंड में केंद्र के बताए औसत के हिसाब से केंद्र और सभी राज्य सरकारें अपना अनुदान जमा कराएंगी। इस फंड का प्रबंध ऐसे रखा जाएगा कि जिस राज्य में गर्भधारण का अनुपात ज्यादा हो, उसे ज्यादा राशि जमा करने की जरूरत होगी, जिस राज्य में फर्टिलिटी रेट कम हो, उसे फंड में कम पैसे जमा कराने होंगे।
साथ ही फंड में जमा पैसे राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में बांट दिए जाएंगे, इस बंटवारे का आधार पर जनसंख्या नियंत्रण की जाएगी। उन राज्यों को इस फंड से औसतन ज्यादा पैसे मिलेंगे जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए ज्यादा काम किया हो या बड़े स्तर पर सुधार के कार्यक्रम चलाए हों, इस फंड में समय-समय पर केंद्र सरकार की ओर से राशि जमा की जाएगी। इसके लिए संसद के जरिये कानून बनाया जाएगा।
भीतर सभी केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी लिखित में यह आश्वासन देंगे कि उनके दो बच्चों से ज्यादा नहीं होंगे। अगर किसी कर्मचारी को पहले से दो संतानें हैं, तो वे लिखित में देखें कि कोई तीसरा बच्चा नहीं होगा।
जनसंख्या नियंत्रण बिल, 2021 के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारें जब कर्मचारियों की भर्ती करें तो वैसे लोगों को प्राथमिकता दें जिन्हें 2 या उससे कम बच्चे हैं, अगर किसी केंद्रीय या राज्य सरकार के कर्मचारी को पहले से 2 संतान हैं तो तीसरी संतान की अनुमति तभी मिलनी चाहिए जब दो में से कोई एक दिव्यांग हो। अगर केंद्रीय या राज्य सरकार का कर्मचारी जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े कानूनों का उल्लंघन करता है, तो उसे नौकरी से बर्खास्त करने का प्रावधान अमल में आना चाहिए।
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