28 जून 2010 को कर्नाटक में दलित महिला दबा होनम्मा की हत्या के मामले में 14 साल बाद 21 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। इन आरोपियों में 19 पुरुष और 2 महिलाएं हैं, और हर एक पर 13,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 27 आरोपियों में से 6 की मौत हो चुकी है।
28 जून 2010 को कर्नाटक के तुमकुर जिले के गोपालपुर गांव में दबा होनम्मा नाम की एक दलित महिला की पत्थर से मारी गई हत्या ने इलाके में हलचल मचा दी थी। यह हत्या जातिवाद के कारण हुई थी। इस मामले की जांच कर रहे डीएसपी शिवरुद्रस्वामी ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अब, 14 साल बाद, जिला सत्र न्यायालय ने 21 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनमें 19 पुरुष और 2 महिलाएं शामिल हैं। कोर्ट ने हर आरोपी पर 13,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
केरल के स्कूल में जातिवाद का घिनौना चेहरा: 6 साल के दलित बच्चे से कराई गई सहपाठी की उल्टी की सफाई
सजा का फैसला
इस मामले में कुल 27 आरोपी थे, जिनमें से 6 की मौत हो चुकी है। शेष 21 आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उन पर जुर्माना भी लगाया। यह फैसला दलित समुदाय के लिए बड़ी राहत और न्याय की दिशा में एक अहम कदम है। कोर्ट का यह फैसला जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है।
गोपालपुर गांव में प्रतिक्रियाएँ
गोपालपुर गांव में इस फैसले को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ हैं। दलित समुदाय ने इसे न्याय की जीत के रूप में देखा है। उनके अनुसार, यह फैसला समाज में समानता और न्याय की ओर एक बड़ा कदम है। हालांकि, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे देर से मिला न्याय बताया और कहा कि जातिवाद के खिलाफ और भी कठोर कदम उठाए जाने चाहिए।
दबंग राशन डीलर ने दलित उपभोक्ता को पीटा, जातिसूचक गालियां देकर दी जान से मारने की धमकी
आगे की कानूनी प्रक्रिया
कुछ आरोपी अब इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रहे हैं, जिससे मामला और लंबा खिंच सकता है। इस फैसले के बावजूद, उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में जातिवाद और असमानता से जुड़े मामलों में और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।